10 December 2020 06:53 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। जिला प्रमुख के चुनाव से रामेश्वर डूडी ने अपना लोहा मनवा दिया है। कुछ ना होने के बावजूद भी अपने व्यक्ति को जिला प्रमुख बनवाकर डूडी ने खुद को बड़े जाट नेता ही नहीं बल्कि कांग्रेसी नेता के रूप में भी स्थापित कर दिया है। कोलायत के मोडाराम मेघवाल अब जिला प्रमुख बन गये हैं। डूडी की अगुवाई में हुए जिला प्रमुख चुनाव में 29 में से 26 वोट कांग्रेस ने खींच लिए तो वहीं बीजेपी को अपने खुद के पांच वोटों से भी हाथ धोना पड़ा। जिला प्रमुख के चुनाव से पूर्व 29 जिला परिषद् सदस्यों में से 21 कांग्रेस के पास थे व 8 बीजेपी के पास थे। लेकिन अर्जुन मेघवाल के पुत्र रवि शेखर मेघवाल की करारी हार के बाद बीजेपी अपने सदस्य भी ना बचा पाई। बीजेपी की दो-तरफा हार ने अर्जुन की राजनीतिक पकड़ व जन समर्थन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चर्चा है कि अपने ही जिले में केंद्रीय मंत्री मेघवाल ना अपने पुत्र को बचा पाए और ना ही अपने बमुश्किल जीतकर आए सदस्यों को।
पिछले कुछ समय से अर्जुन में केंद्रित हो चुकी बीजेपी में यह शक्ति के हस्तांतरण का पहला पायदान हो सकता है। बता दें कि नगर निगम चुनाव में अर्जुन ही बीकानेर बीजेपी के शक्ति केंद्र रहे थे। यहीं से अर्जुन के पुत्र रवि शेखर मेघवाल को जीत के नगाड़ों के बीच नये कलेवर के साथ मैदान में उतार दिया गया था। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रवि को उदयमान करने के कदम भी पहले ही उठाए जा चुके थे। लेकिन रवि के कैरियर का उदय होने से पहले ही अस्तप्राय होना ना सिर्फ रवि के लिए बड़ा झटका है बल्कि अर्जुन के राजनैतिक कैरियर पर संकट सा प्रतीत हो रहा है। हालांकि राजनीति में कुछ भी अंतिम नहीं होता और फिर एक युद्ध की समाप्ति से अर्जुन के तीर खत्म भी तो नहीं हुए हैं। लेकिन यह तो साफ है कि रामेश्वर डूडी ने अर्जुन के साथ ऐसी सेंधमारी कर दी है जो दिल्ली में नकारात्मक रिपोर्ट पेश करेगी।
बहरहाल, रामेश्वर डूडी ने कोलायत के मोडाराम मेघवाल को जिला प्रमुख बनवाकर न सिर्फ अपना डंका बजाया है बल्कि मंत्री भंवर सिंह भाटी को भी समर्थन में ले लिया है। सूत्रों के मुताबिक भंवर सिंह भाटी अपने व्यक्ति के नाम पर अड़े थे। इसे लेकिन भाटी के ऑफिस में हंगामा भी हुआ। बताते हैं कि इसके बाद डूडी व भाटी के बीच हुई वार्ता में मोडाराम का क्षेत्र कोलायत होने की बात पर राजीनामा हुआ। हालांकि जिला परिषद सदस्यों के चुनाव तक शक्ति का केंद्र रहे गोविंद मेघवाल की इच्छा अच्छे नेतृत्व के बाद भी अधूरी रह गई। लेकिन रवि शेखर को हराकर बीजेपी को बड़ा झटका देने का श्रेय भी गोविंद को जाता है। माना जाता है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने एक ही चुनाव में दो वर्गों को साध लिया है। पहले गोविंद मेघवाल पर खूब मेहरबानी की फिर डूडी को अपना बना लिया। बहरहाल, यह पूरा चुनाव आगे जाकर वसुंधरा राजे को फायदा पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि असल में अर्जुन की यह हार वसुंधरा की जीत है। और फिर प्रदेश में भी तो वसुंधरा के प्रभाव वाले क्षेत्रों में बीजेपी ने डंका बजाया है।
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