29 February 2020 09:23 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। सोचिए भारतीयों का प्रवेश भारत में ही ना हो तो कैसा महसूस होगा। लेकिन ऐसा है। भारत में ऐसे पांच स्थान हैं जहां भारतीयों का आना जाना मना है। जिनमें पहला नाम है हिमाचल प्रदेश के फ्री कसोल कैफे का। हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित ‘फ्री कसोल कैफे’ में भारतीयों का प्रवेश वर्जित है। इस कैफे का संचालन इज़राइली मूल के लोग करते हैं। यह कैफे तब अधिक चर्चा में आया जब साल 2015 में कैफे ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से मना कर दिया था। कैफे का कहना था कि वो सिर्फ अपने मेंबर्स को ही सर्व करता है। इस घटना के बाद कैफे की काफी आलोचना भी हुई थी और इस पर नस्लवाद के आरोप भी लगे थे। कैफे के मालिक का इस संबंध में अलग ही तर्क है। कैफे मालिक का कहना है कि कैफे में आने वाले अधिकतर भारतीय पर्यटकों में सिर्फ पुरुष होते हैं और उनका अन्य टूरिस्ट के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं होता है। गौरतलब है कि कैफे के आस-पास अंकित सभी साइन भी हिब्रू भाषा में हैं।
इसी तरह बैंगलोर स्थित यूनो-इन होटल सिर्फ जापानी लोगों को ही सेवा प्रदान करता था। साल 2012 में स्थापित इस होटल पर नस्लवाद के गंभीर आरोप लगे और साल 2014 में ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा होटल को बंद करवा दिया गया था। होटल का कहना था कि उसने जापान की कई कंपनियों के साथ अनुबंध कर रखा है, जिसके चलते वह सिर्फ जापानी पर्यटकों को ही अपनी सेवाएँ देता है। साल 2014 में ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन ने होटल के 30 कमरों में से 10 पर ताला जड़ दिया था। इसके अलावा चेन्नई स्थित रेड लॉलीपॉप हॉस्टल भी अपनी सेवाओं के चलते नस्लवाद के आरोपों से घिरा हुआ है। हॉस्टल में प्रवेश के लिए व्यक्ति को पासपोर्ट की आवश्यकता होती है, ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएँ उपलब्ध नहीं कराता है। होटल का दावा है कि वह पहली बार भारत आने वाले पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है। यूं तो होटल में भर्तियों का प्रवेश वर्जित है, लेकिन विदेशी पासपोर्ट के साथ होटल आने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को होटल में प्रवेश मिल जाता है।
गोवा के एक बीच का नाम ही ‘नो इंडियन’ बीच है। गोवा के इस बीच पर भारतीयों के प्रवेश पर लगी रोक आधिकारिक नहीं है, लेकिन स्थानीय निवासियों की मानें तो देशी पर्यटक विदेश से आए हुए पर्यटकों के लिए परेशानी खड़ी करने के साथ ही अनुचित व्यवहार करते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों ने कई बीच पर भारतीय पर्यटकों का प्रवेश वर्जित कर रखा है। गोवा में अंजुना बीच ऐसी ही जगह है जहां आपको बामुश्किल ही कोई भारतीय पर्यटक आस-पास घूमता हुआ दिखाई देगा। इसी तरह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है, जहां सिर्फ आदिवासी निवास करते हैं। यह द्वीप बाहरी दुनिया से लगभग न के बराबर संपर्क रखता है। साल 2018 में एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक की मौत के बाद यह द्वीप ख़ासी चर्चा में आया था। इस तरह के कबीलों में रह रहे आदिवासियों की रक्षा के लिए वहाँ आम लोगों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रखा गया है, इसके लिए बाकायदा कानून की भी व्यवस्था की गई है। नॉर्थ सेंटिनल द्वीप 23 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, वहीं यहाँ रह रहे आदिवासियों की संख्या महज 100 के करीब है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाहरी व्यक्तियों के संपर्क में आने से इन आदिवासियों को संक्रमण हो सकता है
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