08 December 2021 12:13 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।(रोशन बाफना की रिपोर्ट) गंगाशहर निवासी मनीष छाजेड़ पुत्र जैन लूणकरण छाजेड़ से जुड़े करोड़ों के फर्जीवाड़े व मनी लॉन्ड्रिंग के चर्चित मामले में होश उड़ा देने वाले खुलासे हुए हैं। सीआईडी-सीबी के बाद मामले की जांच एसओजी के पास है, वहीं जल्द ही ईडी(प्रवर्तन निदेशालय) इसकी जांच कर सकता है। सीआईडी-सीबी के एडीशनल एसपी प्यारेलाल शिवराण के अनुसार मनीष छाजेड़ पुत्र जैन लूणकरण छाजेड़ से जुड़ा यह मामला सामान्य धोखाधड़ी का नहीं है, बल्कि सोची समझी रणनीति के तहत फर्जी पेन कार्ड, फर्जी राशन कार्ड व फर्जी अकाउंट खोलकर करोड़ों की टैक्स चोरी के साथ साथ काले धन के एडजस्टमेंट का भी है। इस पूरे गेम में मनीष छाजेड़ ने अपने ड्राइवर व कर्मचारियों से लेकर रिश्तेदारों, समाज, बैंकों, इनकम टैक्स विभाग, डीएसओ सहित अनेकों के विश्वास का खून करके बड़ी धोखाधड़ी की है। इस धोखाधड़ी का परिणाम यह हुआ कि कई बेकसूर लोगों को सीआईडी-सीबी के ऑफिस में मुजरिमों की तरह घंटों तक सवालों के जवाब देने पड़े। 2007-08 से शुरू किए गए इस अवैध खेल को आरोपी ने 2014 तक चलाया। 2018 में आरोपी कानून के चंगुल में फंसा, जो अपराध की परतें खुलने के साथ साथ लगातार फंसता ही चला जा रहा है। हालांकि जयपुर बैठे ताकतवर व्यक्ति द्वारा मुख्यमंत्री के नाम का इस्तेमाल कर आरोपी को बचाया भी जा रहा है। इतना ही नहीं एक एजेंसी में मनीष छाजेड़ का पिता जैन लूणकरण छाजेड़ भी सब-ब्रोकर है। इसके मार्फत भी फर्जी खातों में काम हुआ है। इसमें पहचान कर्ता मनीष छाजेड़ है। हालांकि लूणकरण ने किसी तरह खुद को मुकदमें में शामिल होने से बचा रखा है। लूणकरण के सब-ब्रोकर होने के दस्तावेज भी ख़बर में लगाए जा रहे हैं। ख़बर के अंत में दस्तावेज देखें। करोड़ों के इस सबसे बड़े फर्जीवाड़े की विस्तृत ख़बर हम आपके साथ साझा कर रहे हैं---
--तीन मुकदमें, बार बार जांच, हर जांच में अपराध प्रमाणित- एएसपी प्यारेलाल ने बताया कि मामला 2018 में प्रकाश में आया। कुछ लोगों के खिलाफ इनकम टैक्स ने लाखों करोड़ों की टैक्स रिकवरी निकाली थी। इस पर पीड़ितों ने कोटगेट थाने में मुकदमें दर्ज करवाए। यहां तीन मुकदमें (मुकदमा नंबर 55/18, 33/18 व 49/18 दर्ज हुए। पहला मुकदमा मुरलीधर व्यास कॉलोनी निवासी सुनील सोनी ने 22 जनवरी 2018 को प्रबंधक आर एस क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड, प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा, धर्मचंद बोथरा, विनोद कुमार व एक अज्ञात बैंक कर्मी के विरुद्ध फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज करवाया। सुनील का बैंक ऑफ बड़ौदा की स्टेशन रोड़ ब्रांच में उसके नाम के खाते से कमोडिटी ट्रांजेक्शन किए गए थे। 2010-11 के दौरान अलग अलग तारीखों में 79 लाख 41 हजार 465 रूपए का लेन-देन किया गया। जबकि सुनील ने इस बैंक में खाता खुलवाया ही नहीं। आयकर विभाग ने 2017 में टैक्स, ब्याज व पैनल्टी सहित 63 लाख 54 हजार 560 रूपए की रिकवरी निकालते हुए नोटिस जारी किया। दूसरा मामला सुनील की स्वर्गवासी पत्नी सुमित्रा सोनी के बैंक खाते में फर्जी ट्रांजेक्शन का सामने आया। आईसीआईसीआई बैंक में बने इस खाते में 93 लाख 32 हजार 900 रूपए जमा हुए, जिसमें से तीन लाख 74 हजार 650 रूपए आरटीजीएस व चैक के माध्यम से निकाले भी गए। आयकर विभाग ने 22 दिसंबर 2017 को 74 लाख 65 हजार 110 रूपए की कुल रिकवरी निकाली। इस मामले में सुनील ने आर एस क्रेडिट के मालिक, कर्मचारी कन्हैयालाल, नरेश राणा, अशोक, सुमित दुगड़, आईसीआईसीआई के प्रबंधक व सुमित्रा सुथार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया। वहीं तीसरा मुकदमा चाय व ऊन व्यापारी जुगल किशोर भारती ने आर एस क्रेडिट, प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा, धर्मचंद बोथरा व विनोद कुमार के विरुद्ध दर्ज करवाया। जुगल किशोर के नाम से बैंक ऑफ बड़ौदा में खुले खाते में 2009-10 में 18 लाख 53 हजार 650 रूपए जमा हुए थे। आयकर विभाग ने नोटिस जारी का रकम का सोर्स पूछा तो जुगल के होश उड़ गए। जुगल का अकाउंट तो पूगल रोड़ की ओबीसी बैंक में था। पड़ताल की तो पता चला कि पास बुक पर फोटो किसी अन्य का है, साइन भी फर्जी थे। तब 6 फरवरी 2018 को मुकदमा दर्ज करवाया गया था।
प्रथम जांच कोटगेट पुलिस ने की। पुलिस जांच में सामने आया कि फर्जीवाड़ा करने वाला तो गंगाशहर निवासी मनीष छाजेड़ पुत्र जैन लूणकरण छाजेड़ है, जबकि आर एस क्रेडिट के प्रबंधक, सुमित दुगड़ आदि का इस फर्जीवाड़े में कोई हाथ ही नहीं है। लेकिन दबाव में आई पुलिस आरोपी मनीष छाजेड़ व उसके मुनीम को गिरफ्तार ही नहीं कर पाई। पुलिस स्तर पर भी दुबारा जांच हुई। पुलिस जांच के रिव्यू भी हुए, जांच में दोषी वही के वही रहे। उसके बाद जांच सीआईडी सीबी के पास ले जाई गई। सीआईडी सीबी ने सवा साल से अधिक समय तक जांच कर बड़ा घोटाला उजागर किया। एजेंसी ने मुकदमा नंबर 55 में 3800, 33 में 2800 व 49 में 2500 यानी कुल 8100 पेज़ की जांच रिपोर्ट तैयार की।
सीआईडी-सीबी ने इन तीनों मुकदमों में मनीष छाजेड़ को मुख्य आरोपी माना। उसके खिलाफ धारा 420, 467, 468, 671, 120 बी आईपीसी व धन शोधन अधिनियम (PMLA) 2002 की धारा 3 व 4 के तहत अपराध प्रमाणित पाया गया। वहीं प्रफुल्ल कुमार झा व मुनीम राजेंद्र ओझा को तीनों मुकदमों, विनोद कुमार को दो व राजेश भाटी को एक मुकदमें में आईपीसी की धाराओं में दोषी माना।
---पांच वास्तविक व्यक्तियों के व 12 काल्पनिक व्यक्तियों के फर्जी दस्तावेज व बैंक खाते-- एएसपी प्यारेलाल के अनुसार मास्टरमाइंड मनीष छाजेड़ ने सुमित्रा सोनी, सुनील सोनी, पाना देवी, जुगल किशोर भारती व चरणजीत चड्ढा के फर्जी खाते खोले। दरअसल, सुनील, सुमित्रा, जुगल किशोर व चरणजीत के पुत्र मनीष चड्ढा ने 2007 में मनीष छाजेड़ के यहां डिमेट अकाउंट खुलवाए थे। इस समय मनीष छाजेड़ कौशल शेयर ब्रोकिंग का सब ब्रोकर था। कौशल शेयर बाद में मेहता इक्विटीज में तब्दील हो गई। इसके तहत मिले दस्तावेजों में कांट-छांट करते हुए मनीष छाजेड़ ने अप्रेल 2008 में सुनील सोनी, सुमित्रा सोनी, जुगल किशोर, सुनील की माता पाना देवी व मनीष चड्ढा के पिता चरणजीत के फर्जी पेन कार्ड बनवाए। ग्राहकों से धोखाधड़ी कर बनवाए गए इन पेन कार्डों को एक साल तक उपयोग में नहीं लिया गया। इसके बाद 2009 में पाना देवी को छोड़कर शेष चारों के फर्जी बैंक अकाउंट व फर्जी डिमेट अकाउंट खुलवाए गए। इस फर्जीवाड़े का पहला डिमेट अकाउंट सुनील के नाम से मेहता इक्विटीज व दूसरा सुनील के नाम से आर एस क्रेडिट में खुलवाया गया। आरोपी ने इन चारों खातों में एक वित्तीय वर्ष तक काम किया। इसके बाद इन खातों में काम बंद कर दिया। इसके बाद आरोपी ने नया तरीका निकाला। अपने ऑफिस को ही फर्जी दस्तावेज बनाने का अड्डा बना लिया। इस अड्डे में आरोपी ने बारह ऐसे लोगों के दस्तावेज बनाए, जो इस दुनिया में कहीं मिले ही नहीं। पहला राशन कार्ड बनाया जेठाराम प्रजापत के नाम से। जिसमें सीताराम, भागीरथ, मैना देवी व ओमप्रकाश सदस्य थे। दूसरा राधेश्याम ओझा, जिसमें रामादेवी, रमेश कुमार, तीसरा सुमेरचंद जैन जिसमें विकास कुमार जैन, चौथा प्रकाश आंचलिया जिसमें वह स्वयं ही था व पांचवां रतन लाल जैन जिसमें विनोद कुमार व ओमप्रकाश जैन को सदस्य बनाया। इन डिजिटल काल्पनिक लोगों के फर्जी राशन कार्ड, फर्जी पेन कार्ड के बाद फर्जी बैंक खाते व डिमेट खोले गए।
---इन 6 बैंकों में खोले गए 38 बैंक खाते, सभी बैंकों के मैनेजर व कर्मचारियों का तोड़ा गया भरोसा--- आरोपी मनीष छाजेड़ पुत्र जैन लूणकरण छाजेड़ ने इस पूरे गेम में बैंकों, बैंक प्रबंधकों व कर्मचारियों से विश्वासघात करते हुए कुल 38 फर्जी खाते खोले। ये खाते आईसीआईसीआई, इंडसइंड बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीबीजे, आईडीबीआई व एचडीएफसी में खोले गए। इसमें सबसे अधिक फर्जी खाते इंडसइंड बैंक में खोले गए। यहां 20 फर्जी खाते खोले गए। वहीं आईसीआईसीआई में एक, बैंक ऑफ बड़ौदा में चार, आईडीबीआई में चार, एसबीबीजे में सात व एचडीएफसी में एक फर्जी अकाउंट खोला गया। इंडसइंड बैंक में सीताराम नाम के एक ही काल्पनिक व्यक्ति के चार अकाउंट खोले गए। इसके अतिरिक्त एक ही व्यक्ति के दो-दो अकाउंट भी खोले गए।
---इन नौ शेयर कंपनियों से की धोखाधड़ी, सब ब्रोकर बनकर खोले 35 डिमेट अकाउंट--- एएसपी प्यारेलाल ने ख़बरमंडी न्यूज़ को बताया कि मनीष छाजेड़ ने मेहता इक्विटीज मुंबई, आर एस क्रेडिट, राजेश मूंधड़ा, बोनांजा कमोडिटी, बोनांजा पोर्टफोलियो, सुरेश राठी, मास्टर कैपिटल, मास्टर कमोडिटी व इंडिया निवेश में 35 अकाउंट खोले।
---परिवार व समाज के इन लोगों के विभिन्न अकाउंट से हुआ 12 काल्पनिक व्यक्तियों के 30 से अधिक फर्जी खातों से बड़ा लेन-देन, जो अब बन चुका है मनी लॉन्ड्रिंग का मामला--- मनीष छाजेड़ द्वारा रचे गए 12 डिजिटल लोगों के 30 से अधिक फर्जी खातों से बड़ा लेन देन हुआ। ये करोड़ों का लेन-देन मामा रतनलाल भंसाली, पुत्र राकेश भंसाली, मुनीम भरत कुमार, लूणकरणसर निवासी ठाकरसीदास बोथरा, पूना निवासी प्रवीण पुगलिया, सुरेश पुगलिया व उसकी पत्नी, बैकुंठपुर छत्तीसगढ़ निवासी महेंद्र कुमार बैद, सुनीता इलेक्ट्रॉनिक गुवाहटी, धर्मनगर त्रिपुरा निवासी मनोज पारख(नोखा) के खातों से हुआ है। इनमें रतनलाल, भरत व मनोज के खातों से करोड़ों का लेन-देन हुआ है। एएसपी प्यारेलाल के अनुसार ये सभी ट्रांजेक्शन अज्ञात स्त्रोतों से अर्जित अवैध धन के हैं।
---20 से अधिक शहरों से डलवाया गया काला धन---- एएसपी प्यारेलाल के अनुसार आरोपी मनीष छाजेड़ द्वारा बनाए गए इन काल्पनिक लोगों के फर्जी खातों में बीकानेर, दिल्ली, पूना, हैदराबाद, नागपुर, जयपुर, कांदीवली, नवसारी, सूरत, अहमदनगर, धर्मनगर, सिल्चर, बाड़मेर, बालोतरा, विशाखा, अगरतल्ला, बोकारो, गुवाहटी आदि शहरों से करोड़ों का लेन-देन हुआ। ये सारा धन अवैध बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सीआईडी सीबी की गहन जांच में गंगाशहर निवासी मनीष छाजेड़ पुत्र जैन लूणकरण छाजेड़ के खिलाफ जुर्म प्रमाणित पाया गया है। एएसपी प्यारेलाल के अनुसार मनीष छाजेड़ द्वारा किए अपराध की जड़ें और भी गहरी हो सकती है। बताया जा रहा कि अब तक की जांच केवल तीन मुकदमों से संबंधित आयकर रिकवरी करीब डेढ़ करोड़ से ऊपर की निकाली गई थी। यह रिकवरी निकाले भी तीन साल हो चुके हैं, ऐसे में इनकम टैक्स इस पर ब्याज व पैनल्टी बढ़ा सकता है। इसके अतिरिक्त चरणजीत ने मुकदमा दर्ज नहीं करवाया। वहीं काल्पनिक 12 लोगों के 30 से अधिक खातों से अरबों का ट्रांजेक्शन हुआ बताते हैं। अगर इनकम टैक्स इन 12 लोगों पर बने टैक्स की वसूली निकाले तो छाजेड़ को कई करोड़ का टैक्स भरना पड़ेगा। बता दें कि ये 12 लोग पूरी तरह से मनीष छाजेड़ की ऑफिस में क्रिएट किए गए काल्पनिक लोग हैं। इनके फर्जी खाते बनाने से लेकर समस्त लेन देन मनीष छाजेड़ ने किया है। ऐसे में टैक्स व मुकदमें भी मनीष छाजेड़ पर बनेंगे। अब देखना यह है कि एसओजी के जांच अधिकारी एएसपी ओमप्रकाश किलानिया इस मामले को किस अंजाम तक ले जाते हैं।
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31 January 2021 09:01 PM