21 July 2021 10:13 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। नोखा के चर्चित सीवर व भूजल प्रदूषण से जुड़े प्रकरण में अब एनजीटी ट्रिब्यूनल (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में याचिका दायर की गई है। स्थानीय निवासी महेंद्र भूरा ने अधिवक्ता विनायक चितलांगी व अधिवक्ता रवैल भारतीय के मार्फत यह याचिका दायर की है। इससे पहले नोखा नगर पालिका, राजस्थान सरकार व कलेक्टर को एनजीटी अधिनियम के तहत नोटिस दिया गया था। निश्चित समय में नोटिस का जवाब ना मिलने पर दोनों अधिवक्ताओं ने यह याचिका दायर कर दी।
चितलांगी ने बताया कि नोखा में जहां सीवरेज का पानी छोड़ा जाता है, वहां से भूजल व आसपास के निवासियों को भारी नुकसान हो रहा है। यहां सीवर के जल का सही ट्रीटमेंट नहीं होता है, इससे आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। वहीं यह प्रदूषित जल धरती के अंदर जाकर कुंओं के जल में मिलता है। फिर यही प्रदूषित कुंओं का जल खेतों के ट्यूबवेल से किसानों को मिलता है। इसी प्रदूषित जल से फसलें होती है। ऐसे में सिर्फ सीवर जल के सही उपचारित ना होने से विभिन्न गंभीर समस्याएं खड़ी हो रही है।
याचिका में सीवर व भूजल को प्रदूषण से बचाने हेतु कदम उठाने व आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य को हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग की गई है।
इस याचिका में डीबी सिविल रिट पिटीशन नंबर 7233/2021 में राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती व विनीत माथुर के उस निर्णय का भी उल्लेख किया गया है जिसमें उन्होंने नोखा में जल्द से जल्द सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। इस याचिका के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय की पालना करवाने हेतु परिवाद भी लगाया गया है।
बता दें कि नोखा के मास्टर प्लान में भी भूजल प्रदूषण का उल्लेख मिलता है। मास्टर प्लान के पेज नंबर 11 के पॉइंट 2.6.6(य)2 में यह उल्लेख मिलता है। इसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को की जा चुकी है।
चौंकाने वाली बात यह है कि नोखा की इतनी बड़ी समस्या पर नगर पालिका व प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी रूचि नहीं है। जबकि भूजल प्रदूषित होने से पैदा होने वाले परिणाम पूरे नोखा को भुगतने पड़ेंगे। अब देखना यह है कि इन गंभीरतम मुद्दों पर कब जिम्मेदारों की आंखें खुलती है।
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