20 September 2024 01:42 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की रिपोर्ट) सोफिया स्कूल की बच्ची के साथ हुई घटना ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। अभिभावक बच्चियों की सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं। सवाल उठ रहे हैं कि अगर सोफिया जैसी स्कूल में भी बच्चियां इन कामुक वहशी दरिंदों से महफूज नहीं हैं तो फिर सुरक्षा की ठौर कहां है। हालांकि इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। करीब 6-7 माह पहले शिवबाड़ी रोड़ स्थित फ्लरिश इंटरनेशनल स्कूल की मासूम छात्रा के साथ भी ऐसी ही घटना हुई थी। फ्लरिश के बस कंडक्टर ने बस के अंदर ही मासूम बच्ची के साथ यौन अश्लीलता की थी। जिसके बाद जयनारायण व्यास कॉलोनी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भिजवाया था।
सोफिया स्कूल की मासूम बच्ची के साथ अश्लीलता करने वाले वैन कंडक्टर बंगला नगर निवासी 74 वर्षीय लक्ष्मी नारायण सुथार को जेल भेजा जा चुका है। बताया यह भी जा रहा है कि इस कंडक्टर ने वैन की अन्य बच्ची के साथ भी अश्लीलता की थी।
बहरहाल, सवाल यह है कि एक दो आरोपियों के पकड़े जाने और उन्हें जेल भेज देने से भविष्य की सुरक्षा भी तो सुनिश्चित नहीं होती। बता दें कि सोफिया स्कूल शुद्ध बालिका स्कूल हैं। पुरुषों के नाम पर वहां मात्र स्टाफ ही है। इसके बावजूद बच्चियां सुरक्षित नहीं रह पाई। ऐसे कितने ही मामले छिपे हुए भी हो सकते हैं। बच्चियों की सुरक्षा के लिए स्कूल सहित अभिभावकों को भी जिम्मेदार होना होगा।
ये था मामला: 15 सितंबर को सोफिया स्कूल की मासूम छात्रा ने अपनी मम्मी को बताया कि उसकी वैन के कंडक्टर अंकल उसे ग़लत जगह छूते हैं। अन्य बच्चियों के माता पिता से बात की तो एक अन्य बच्ची के साथ भी ऐसी ही घटना सामने आई। माता पिता ने एसपी तेजस्वनी गौतम को लिखित शिकायत दी, जिस पर जयनारायण व्यास कॉलोनी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी से पूछताछ की। पूछताछ में जुर्म प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी लक्ष्मी नारायण को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा के तहत बीछवाल जेल भेज दिया।
-बच्चियों की सुरक्षा हेतु उठाए जाएं ये कदम-
1- स्कूल वैन स्कूलों द्वारा ही अधिकृत हो। पुलिस वेरिफिकेशन व विभिन्न मनोचिकित्सकीय परीक्षण के बाद ही ड्राइवर व कंडक्टर रखे जाएं। मासूम बच्चियों से यौन अश्लीलता व दुष्कर्म के मामलों में अक्सर आरोपी साइको पाए जाते हैं।
2- वैन में एक महिला कंडक्टर अथवा शिक्षिका अनिवार्य हो।
3- बच्चियों को लाने ले-जाने में इस्तेमाल वैन विभिन्न सिक्योरिटी फीचर्स के साथ हो, जिनमें जीपीएस, कैमरा आदि हो।
4- स्कूल के पुरुष स्टाफ का भी मानसिक परीक्षण व पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य हो।
5- सभी क्लास रूम, टॉयलेट गैलरी आदि में कैमरे लगे हों।
6- बच्चियों को गुड टच बेड टच तथा आत्मरक्षा का परीक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाए।
7- संभव हो तो छठी कक्षा तक की छात्राओं को अभिभावक स्वयं ही स्कूल छोड़ने और वापिस लेने की जिम्मेदारी उठाए।
8- स्कूल भी समय समय पर बच्चियों की काउंसलिंग करें ताकि ऐसे केस छिपे ना रह सके।
9- वैन स्टाफ व स्कूल के बीच निरंतर संवाद हो। उन पर कड़ी नज़र रखी जाए।
10- जिन स्कूलों की बच्चियों के साथ स्कूल अथवा वैन में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है, ऐसी स्कूलों में जाकर प्रशासन भी निरंतर चैकिंग आदि करें।
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