06 September 2021 10:09 PM
-रोशन बाफना
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर में बिजली कंपनी बीकेईएसएल के सीओओ शांतनु भट्टाचार्य के मुंह पर कालिख पोतने का प्रकरण शहर की हॉट चर्चा बन गया है। जहां आमजन विरोध के इस तरीके से खुश नजर आ रहा है, सोशल मीडिया पर जमकर बिजली कंपनी को कोस रहा है। वहीं बुद्धिजीवियों ने विरोध को सही मगर विरोध के तरीके को ग़लत व अलोकतांत्रिक बताया है। बहरहाल, बात यहीं रुकी नहीं है। मामले में पार्षदों के खिलाफ मुकदमा भी हो दर्ज हो गया है। तो दूसरी ओर बीकानेर बंद करवाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। बता दें कि मामला कांग्रेस पार्षद कुसुम भाटी के पति मघाराम भाटी की मौत से जुड़ा है। हालांकि आम मुद्दे भी साथ में जुड़े हुए हैं।
ये था मामला-
कुछ समय पहले गंगाशहर की कांग्रेसी पार्षद कुसुम भाटी के पति मघाराम भाटी की करंट लगने से मौत हो गई। घटना उदयरामसर स्थित उनके फार्म हाउस में हुआ। पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि बिजली कंपनी की लापरवाही की वजह से करंट लगा। कंपनी को शिकायत देने के बावजूद समाधान नहीं किया गया था। इन आरोपों के साथ मृतक के परिजनों ने कंपनी कार्मिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। पूर्व में भाजपा व बीजेपी के अस्सी पार्षदों सहित मनोनीत पार्षदों ने भी विरोध प्रदर्शन किया था। गर्माते माहौल के बाद राजस्थान विद्युत निरीक्षण निदेशालय ने करंट आने के कारणों की जांच की। कंपनी के अनुसार इस सरकारी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी को निर्दोष माना। कंपनी के अनुसार जांच टीम ने सर्विस केबल व मीटर की जांच की। मीटर की एम आर आई भी कराई। सहायक विद्युत इंस्पेक्टर ने रिपोर्ट में कहा कि फार्म में लगे जेनरेटर में ऑटो कट नहीं था। इसलिए बिजली प्रभावित हुई। इसके अतिरिक्त एनसीबी, एनसीसीबी व ऑटो स्विच भी नहीं लगा था।
रिपोर्ट के बाद आज पार्षदों ने पवनपुरी स्थित कंपनी ऑफिस के आगे मोर्चा खोल दिया। जेएनवीसी थानाधिकारी अरविंद भारद्वाज मय 20-25 पुलिसकर्मी तैनात थे। कंपनी सीओओ शांतनु भट्टाचार्य बाद में बातचीत के लिए आए। पार्षदों ने मघाराम के आश्रितों को 20 लाख रूपए मुआवजा व एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की मांग की। भट्टाचार्य ने मांगें मानने से इन्कार कर दिया। इस पर पार्षदों ने भट्टाचार्य के मुंह पर काली स्याही फेंकी। पुलिस भट्टाचार्य को बचाकर अंदर ले जा रही थी, तभी 1-2 पार्षदों ने भट्टाचार्य के मुंह को काली स्याही की होली खेला दी। जिसका वीडियो भी हम आपसे साझा कर रहे हैं।
पार्षद मनोज विश्नोई का कहना कि कंपनी तानाशाही कर रही है। आमजन को लूट रही है। मघाराम की मौत की जिम्मेदार है मगर मुआवजा व सरकारी नौकरी देने की मांग नहीं मान रही। इसी को लेकर उनके सहित पार्षद चेतना चौधरी, महेंद्र बड़गुर्जर, प्रफुल्ल हटीला, आजम अली, पारस मारु, माशूक अहमद, वसीम फिरोज अब्बासी, अब्दुल वाहिद, सुनील गेदर, बीजेपी पार्षद अनूप गहलोत, पुनीत शर्मा व पार्षद प्रतिनिधि सुरेंद्र डोटासरा सहित बड़ी संख्या में लोगों विरोध किया।
बता दें कि पुलिस ने 57 वर्षीय शांतनु भट्टाचार्य के परिवाद पर पार्षद मनोज विश्नोई, पार्षद महेंद्र सिंह बड़गुर्जर, पार्षद पारस मारु, पार्षद नंदू गहलोत, पार्षद आजम खान व पार्षद प्रतिनिधि सुरेंद्र सिंह डोटासरा के खिलाफ धारा 323, 341, 427 व 143 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
मनोज विश्नोई का कहना है कि कंपनी अब मंत्री कल्ला को भी बदनाम करने लगी है। वे सभी मिलकर इस कंपनी को भगाकर ही रहेंगे। जबकि दूसरी तरफ कंपनी का कहना है कि उन्हें 20 वर्ष के लिए काम मिला। कंपनी को जोधपुर विद्युत वितरण निगम व राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग की गाइडलाइन के अनुसार चलना होता है। वे कहीं भी गाइडलाइन का उल्लघंन नहीं कर रहे। कंपनी के आने से पहले 22-23 घंटे प्रतिदिन के सालाना औसत से बिजली मिलती थी, जो बढ़कर अब 23 घंटे 45 मिनट हो गई है। पहले बिजली घर जाकर घंटों माथापच्ची करनी पड़ती थी, अब कॉल सेंटर है। हेल्पलाइन पर तुरंत टेलीफोनिक शिकायत दर्ज होती है। 80 प्रतिशत मामलों में 20 मिनट में फॉल्ट ठीक कर दिया जाता है। दिन रात 24 घंटे बिजली फॉल्ट ठीक करने की सुविधा दी जा रही है। पहले मैनुअल सिस्टम था जिसमें एक एक फीडर पर जाकर बिजली चालू करना पड़ता था। अब कंप्यूटराइज्ड सिस्टम इस्काडा है, जिससे 30मिनट में पूरे शहर की बिजली चालू की जा सकती है। कंपनी के अनुसार उन्होंने मई 2017 में आने से लेकर अब तक 132 करोड़ रुपए विद्युत तंत्र को दुरुस्त करने में खर्च किए हैं।
लेकिन इन सबके बावजूद आमजन भी बिजली कंपनी से असंतुष्ट दिख रहा है। बिजली की मंहगी दरों सहित सेवाओं में कठोरता भी इस असंतुष्टि का एक कारण है। आमजन की शिकायत है कि बिजली कंपनी बिल ना भरने की स्थिति में बिना किसी पूर्व सूचना कनेक्शन काट देती है। यहां तक कि चोरी छिपे भी कनेक्शन काट दिया जाता है। इससे आमजन बहुत परेशान है। वहीं घरों के बाहर लगे मीटर की सुरक्षा भी एक बड़ी समस्या है। मीटर घरों के बाहर लगे हैं, ऐसे में आमजन उसकी सुरक्षा नहीं कर सकता। लेकिन मीटर किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त होने पर उपभोक्ता को भारी जुर्माना तक भुगतना पड़ जाता है।
RELATED ARTICLES