18 February 2022 01:42 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। सामाजिक समानता की रीत पुष्करणा ओलंपिक सावे को लेकर परकोटे के शहर में उत्साह चरम पर है। शुक्रवार शाम चार बजे से दूल्हे अपने बारातियों के साथ वधू निवास की ओर प्रस्थान करना शुरू कर देंगे। विष्णु रूप धारण किए ये दूल्हे ही इस सावे की मूल भावना को पूरा करेंगे। दिखावे से दूर इस परंपरा के तहत विवाह करने वाला दूल्हा पीली धोती, बनियान, पीली पाग पहनकर हाथ में गेडिया लिए नंगे पांव ही बारात लेकर निकलता है। चार बाराती एक छत्र पकड़ते हैं, इसकी छाया में दूल्हा होता है। बैंड बाजा, घोड़ी, लाइट आदि नहीं होती। 10-15 बाराती साथ हो सकते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी दूल्हे ओलंपिक सावे की मूल भावना को अपनाते हैं।
रमक-झमक के प्रहलाद ओझा भैरूं के अनुसार करीब 50 दूल्हे इसी वेश-भूषा में बारात लेकर प्रस्थान करेंगे। पुष्करणा ओलंपिक सावे की मूल भावना को चरितार्थ करने वाले ऐसे दूल्हों का प्रोत्साहन भी किया जाएगा। बारह गुवाड़ चौक में रमक झमक ने अपना मंच लगा रखा है। इस मंच से गुजरने वाले ऐसे दूल्हों को प्रतियोगिता में शामिल किया जाएगा। चयनित दूल्हों को उनकी जीवनसंगिनी के साथ भगवान श्रीनाथ की यात्रा का टिकट प्रदान किया जाएगा। वहीं जो दूल्हे विष्णु रूप धारण कर परंपरा तो निभाएंगे मगर रमक झमक मंच पर नहीं आ पाएंगे, उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप उनके घर जाकर प्रशस्ति पत्र भेंट किया जाएगा।
इतने जोड़े करेंगे विवाह: ओलंपिक सावे के मुहूर्त में परकोटे को एक छत्त मानकर करीब 175 से 200 जोड़ों के परिणय सूत्र में बंधने का अनुमान है। हालांकि पुष्टि परक आंकड़े कम हैं। इनमें पुष्करणा समाज के 110 जोड़ों की लिस्ट सामने आ चुकी है। इसके अतिरिक्त करीब 25 विवाह पुष्करणा समाज के तथा 25-30 विवाह अन्य समस्त ब्राह्मण, सेन आदि समाजों के हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार आज के मुहूर्त में परकोटे के अंदर करीब 175 विवाह होंगे यानी 175 विवाह वेदियां (चंवरी) सजेंगी।
-पुष्करणा सावे की परिभाषा: हालांकि ओलंपिक सावा मूलतः पुष्करणा समाज से जुड़ा है। पुराने समय में कर्ज के बोझ से मुक्ति व सामाजिक समानता के उद्देश्य से यह व्यवस्था शुरू हुई। इसके तहत परकोटे को एक छत्त मानकर सभी वर-वधु का एक नाम से ही लग्न निकालते हुए अपने अपने घरों में विवाह आयोजित किया जाता है। इस बार वर का नाम गौरीशंकर व वधु का नाम अंबिका माना गया है। बता दें कि बिन घोड़ी, बैंड बाजे, लाइट व डेकोरेशन की बारात निकलती है। दूल्हा विष्णु रूप धारण कर नंगे पांव कुछ बारातियों के साथ वधू के निवास पर पहुंचता है। ऐसे विवाह ही पुष्करणा सावे की मूल भावना को साकार करते हैं।
-इनको मिलेगा इतना अनुदान:- ओलंपिक सावे के तहत परकोटे के भीतर होने वाले विवाह के लिए सरकारी अनुदान की व्यवस्था भी है। सरकारी अनुदान के लिए पुष्करणा ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के जरूरतमंद परिवार पात्र हैं। इसके तहत मुस्लिम, सेन, समस्त ब्राह्मण आदि अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। सरकार इसके तहत 15 हजार रूपए वधु पक्ष को व 3 हजार रूपए आयोजक संस्था को देती है। इस बार पुष्करणा समाज के करीब 89 वधु परिवारों ने यह आवेदन किया था।
उल्लेखनीय है कि पुष्करणा सावे की इस बेहतरीन रीत को आगे बढ़ाने में परशुराम सेवा समिति, रमक झमक डॉट कॉम व पुष्करणा सावा समिति महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
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