25 December 2021 11:22 AM
तल्ख़ टिप्पणी- रोशन बाफना
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर/मुंबई। (तल्ख़ टिप्पणी - रोशन बाफना) भारतीय संस्कृति का रेप करना जैसे एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का शगल बन गया है। एक बार फिर मनोरंजन के नाम पर ऐसा किया गया है। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्रीज ने भारतीयों की धार्मिक भावनाओं पर गहरा आघात पहुंचा दिया है। भारतीय संस्कृति में मां की उपमा प्राप्त राधा के पवित्र चरित्र पर अश्लीलता का कीचड़ उछालने की कोशिश की गई है। राधा ही नहीं कृष्ण भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर हैं। यह कार्य जाति विशेष का नहीं बल्कि मिलकर किया गया कार्य है। मधुबन में राधिका नाचे टाइटल का यह गाना सारेगामा ने लॉन्च किया है। सनी लियोनी ने कामुक अंधता के शिकार लोगों को पसंद आने वाला अश्लील डांस किया है। इस अश्लील डांस का सृजन किसी ओर ने नहीं बल्कि गणेश आचार्य ने किया है। आवाज़ कनिका कपूर ने दी है। शारिब-तोषी ने संगीत दिया है। गाने के बोलों से लेकर डांस तक सबकुछ बेहद अश्लील है, हालांकि सनी लियोनी से अश्लीलता के अलावा उम्मीद भी क्या की जा सकती है। गाने में 'सांवरिया बीन बजा रे', 'चली तू बिजली गिरा के', 'शहर में गदर मचाके', 'रात है आधी' जैसे अश्लील भाव व्यक्त करते शब्द दिए गए हैं। दो दिनों में ही इस गाने को लेकर देशभर में माहौल गर्म हो चुका है। मथुरा के पुजारियों ने तो गाने को बैन करने की मांग भी कर दी है। लेकिन हमारा सिस्टम अब तक खामोश है। हालांकि वह कुछ करता भी कब है। सेंसर बोर्ड अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहा। बॉलीवुड फिल्मों से लेकर ओटीटी प्लेटफार्म पर हद पार अश्लीलता परोसी जा रही है। सेक्स जितना अश्लील नहीं होता उससे अधिक अश्लीलता सृजित की जा रही है। अधिकतर वेब सीरीज अश्लीलता का भंडार है। सरकार चुप है, बढ़ते अपराधों के पीछे यही अश्लील मनोरंजन कारण बन रहा है। वैसे अश्लीलता आजकल सफलता तक पहुंचने का जरिया बन गई है। आज की अदाकारा नग्नता व अश्लीलता से रातों-रात हिट होना चाहती है। हालांकि इस बीच गिनती की एक्ट्रेस ऐसी हैं जो फूहड़ता के ज्यादा करीब नहीं है।
बहरहाल, सवाल सरकार से है, सिस्टम से है। आख़िर वह क्यों इस अश्लीलता को रोकने में नाकाम है। ऐसे मामलों में न्यायालय को भी स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। यह गाना मात्र बैन कर देने से रोग नहीं मिटेगा। बैन के साथ करोड़ों का जुर्माना लगाना अनिवार्य है। ऐसे निर्माताओं व कलाकारों पर जब अर्थ दंड की मार पड़ेगी तो बाकी भी सुधर जाएंगे। कम से कम भारतीयों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का दुस्साहस तो नहीं करेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में राधा व राधा जैसे पवित्र चरित्रों का इतिहास ही बदल दिया जाएगा। कृष्ण-राधा के पवित्र प्रेम को कामुक पुकार में तब्दील करने वाला यह गाना भारतीयों का मन कचोट रहा है। किसी को भी यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह मनोरंजन के नाम पर धर्म, संप्रदाय व जाति विशेष के चरित्रों पर अश्लीलता का प्रदर्शन करें।
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