20 August 2020 10:09 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पीबीएम अस्पताल की संवेदनहीनता का सनसनीखेज मामला सामने आया है। लाख कोशिशों के बाद भी पीबीएम प्रशासन आमजन की संवेदनाओं से खेलना बंद नहीं कर रहा है। गंगाशहर के रतनलाल सुराणा को पीबीएम के सारी यानी डी वार्ड में भर्ती किया गया था। जहां बुधवार सुबह करीब 12:45 बजे उनकी मौत हो गई। लेकिन उनका शव गुरूवार को भी उनके परिजनों को नहीं मिला है। मृतक का शव अब शुक्रवार सुबह परिजनों को मिलेगा और उसके बाद अंतिम संस्कार होगा। मौत के बाद हुई इस दुखद घटना के पीछे पीबीएम प्रशासन जिम्मेदार बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक डी वार्ड में भर्ती मरीज़ की कोरोना जांच के लिए सैंपल सुबह ही ले लिया गया था। लेकिन लैब को यह सैंपल मरीज़ की मौत के बाद देर दोपहर में दिया गया। लैब ने रात को फ्रेश सैंपल मांगा। जब पॉजिटिव-नेगेटिव में असमंजस के आंकड़े आते हैं तब लैब पुनः सैंपल मांगता है। रात को मांगा गया सैंपल गुरूवार सुबह लैब को दिया गया। इस बार सैंपल डी वार्ड से नहीं बल्कि मोर्चरी से आया था। डेड बॉडी के सैंपल मोर्चरी से भिजवाए जाते हैं। लेकिन दो घंटे बाद आई रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अधिकृत जानकारी के अनुसार जब भी डेड बॉडी का सैंपल पॉजिटिव आता है तो पुन: मशीन में लगाया जाता है। अब पुन: जांच शाम को आई, यह रिपोर्ट नेगेटिव थी। सूर्यास्त के बाद पीबीएम प्रशासन ने परिजनों को शव ले जाने की अनुमति दी। लेकिन हिंदू परंपरा में रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाता, ऐसे में शुक्रवार सुबह शव लिया जाएगा। पीबीएम की गलती से मृतक के परिजनों को असहनीय भावनात्मक पीड़ा से गुजरना पड़ा। वहीं दूसरी ओर पीबीएम द्वारा मृतक के परिजनों को गुमराह करने की बात भी सामने आ रही है। सवाल यह है कि अगर कोई लापरवाही नहीं थी तो रिपोर्ट देने में 30 घंटे कैसे लग गये। बता दें कि पीबीएम की इस लापरवाही की वजह से अंतिम संस्कार करीब करीब मौत के 45 घंटे बाद होगा। अब देखना यह है कि कलेक्टर नमित मेहता इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। बंता दें कि निर्देशों के अनुसार डेड बॉडी व कैदियों की कोरोना रिपोर्ट लैब द्वारा प्राथमिकता से की जा रही है। लेकिन पीबीएम द्वारा सैंपल पहुंचाने में बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। ऐसे में मामले की जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई किए बिना हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं।
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