23 May 2020 01:35 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। सीआई विष्णुदत्त विश्नोई की मौत ने सच्चाई के उपासकों को स्तब्ध कर दिया है। वें आज सुबह राजगढ़ थाना परिसर में बने अपने क्वार्टर में फांसी के फंदे से झूले हुए मिले। हर तरफ एक ही सवाल है कि इतना दबंग और ईमानदार ऑफिसर आत्महत्या कैसे कर सकता है। यह वाकई चिंताजनक है, राजस्थान का एक ऐसा ऑफिसर जिसके ट्रांसफर पर आमजन प्रदर्शन करें और कैसे भी जाने से रोकना चाहें, वह ऑफिसर यूं फ़ना हो जाए। यह न सिर्फ सच्चाई की हार है बल्कि खाकी के मुंह पर गुनहगारों का तमाचा है। विष्णुदत्त ने एक दिन पहले ही एडवोकेट गोवर्धन सिंह से वाट्सअप पर चैट की थी, जिसमें वे कह रहे हैं कि उनको गंदी राजनीति के भंवर में फंसाया जा रहा है। विश्नोई ने चैट में कहा है कि वें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी दे रहे हैं। तब एडवोकेट के रोकने पर उन्होंने कहा कि 'नहीं सर सोच लिया है, बहुत गंदी राजनीति है और ऑफिसर बहुत कमजोर है'। इस चैट से यह तो साफ होता है कि राजनीतिक दबाव ने इस ऑफिसर की सांसें छीन ली। एडवोकेट सिंह ने खुद अपनी फेसबुक पर अफसोस जाहिर किया है कि उन्होंने एक दिन की देर कर दी वरना आज ये नहीं होता। बताया जा रहा है कि विश्नोई ने अपने पिता के नाम सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें लिखा गया है कि वह दबाव नहीं झेल सकते, इसलिए आत्महत्या कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक बीती रात दो बजे विश्नोई अपने क्वार्टर में गये थे। इससे पहले तक वे गोली कांड की कार्रवाई में उलझे थे। सूत्रों के मुताबिक दो बजे इनके जाने से पहले इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, लेकिन विश्नोई के इस पर हस्ताक्षर नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि खाकी की चमक बढ़ाने वाले इस ऑफिसर को मरने के बाद न्याय मिलता है या अपने ही ईमानदार और दबंग ऑफिसर की मौत पर खानापूर्ति की जाती है।
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