28 October 2020 10:07 PM
-रोशन बाफना
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। आत्महत्या व हत्या जैसे अपराधों की मूल जड़ बन चुके "मौत के ब्याज" से जुड़ा चौंकाने वाला सनसनीखेज मामला सामने आया है। "मौत का ब्याज" लेने वाले इस माफिया के चंगुल में गंगाशहर नोखा रोड़ क्षेत्र का एक नौजवान बुरी तरह फंस चुका है। ख़बरमंडी न्यूज़ पर ख़बर फ्लैश होने के बाद इस पीड़ित ने हमसे संपर्क कर आपबीती सुनाई। युवक की मानें तो उसने पहली बार अस्सी हज़ार रूपए की उधारी मौत वाले ब्याज पर ली थी, जिसके बाद पैसा चुकाते चुकाते उसका कर्जा चौदह लाख हो गया है जबकि करीब सात लाख उसने अब तक चुका दिए हैं। पटेल नगर के इस ब्याज़ माफिया से इसने अस्सी हजार लिए, जिसे हज़ार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 120 दिनों तक चुकाना था। लेकिन किश्त की समाप्ति तक पहुंचते पहुंचते एक दो किश्तें चुकाने में देर हुई तो किश्त पर भी भारी-भरकम पैनल्टी बनने लगी। अब इसे चुकाने के लिए इसे कर्जा लेना पड़ा। यहां उसने पटेल नगर के माफिया से 22 हजार फिर से लिए। इस बार किश्त नहीं बनीं। कुछ दिनों में चुकाने की शर्त पर लिए गए 22 हजार पर प्रतिदिन पांच सौ रुपए ब्याज़ भरना था। यहीं से युवक फंसता चला गया।
इसके बाद युवक ने 22 हजार के ब्याज पर लगने वाली पैनल्टी चुकाने के लिए गंगाशहर के पाबू निवासी से दस हज़ार रुपए का कर्जा लिया। अब हालात यह है कि युवक 22मार्च से अब तक उस 22 हजार का पांच सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से ब्याज चुका रहा है। इसके अतिरिक्त किश्त, ब्याज व पैनल्टी से रबर की तरह बढ़ते गये कर्जे को चुकाने में आए दिन उसे नया कर्ज लेना पड़ रहा है। युवक बदनामी व परिवार के डर से चुप है। युवक का कहना है कि पटेल नगर माफिया इतना ख़तरनाक है कि पुलिस से डरता ही नहीं। युवक के अनुसार उसे धमकी दी गई है कि अगर पुलिस को शिकायत की तो वह उसे देख लेंगे। ऐसे में पुलिस की शरण जाने में भय बना हुआ है। तो वहीं युवक का कहना है कि पुलिस के पास जाएं भी तो किस भरोसे से? आरोप है कि पुलिस को इस काले धंधे के बारे में सब पता रहता है। आए दिन हो रही आत्महत्याओं के कारणों से पुलिस अनभिज्ञ नहीं है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती, न्याय नहीं मिलता।
उल्लेखनीय है कि गुंडों व माफियाओं से पीड़ित शहर की शांति के लिए पुलिस व प्रशासन को इन ब्याज़ माफियाओं पर लगाम लगानी होगी, अन्यथा भविष्य की तस्वीर बेहद डरावनी होगी। युवक के अनुसार पटेल नगर के माफिया से तो गंगाशहर के बहुत सारे युवक जुड़े हुए हैं। अब देखना यह है कि पुलिस व प्रशासन शहर के शुकून के लिए मौत के ब्याज पर पैसे देने वाले माफिया का सफाया करते हैं या केवल दिखावटी पंच मारने में ही व्यस्त रहते हैं। बता दें कि बाज़ार में एसी ब्याज के नाम से मशहूर इस ब्याज़ की गणित तीन से दो सौ रूपए सैकड़े तक पहुंच जाती है। उदाहरण के तौर पर इसी युवक ने पचास हजार के एक अन्य कर्जे पर केवल पांच हजार मासिक ब्याज देने की पेशकश की तो माफिया का कहना था कि पचास हजार पर तीस हजार रूपए ब्याज तो हम वैसे ही ले रहे हैं। जागो पुलिस जागो प्रशासन।
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