20 August 2020 03:57 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पिछले पांच माह में कोरोना ने आमजन की कमर तोड़ कर रख दी है। लंबे लॉक डाउन के बाद अब कर्फ्यू लगाकर काम धंधा रोकने के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। आमजन का कहना है कि कोरोना से मरे ना मरे, लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो भूखे मर जाएंगे। कार्रवाई के भय से कोई मुखर नहीं होना चाहता लेकिन आक्रोशित आमजन का कहना है कि अफसरों की तो सैलरी हर हाल में आ जाएगी, बर्बाद तो आम आदमी हो रहा है। बीकानेर की ही बात करें तो बड़ी बड़ी फर्मों ने चार पांच माह से अपने कर्मचारियों की सैलरी का हिसाब तक नहीं किया है। वहीं सेठ साहूकारों का कहना कि धंधा बेहद मंदा है। पांच माह में काम घटकर 20-30 प्रतिशत रह गया है। ऐसे में सैलरी देना भारी पड़ रहा है। बता दें कि अधिकतर प्रतिष्ठानों ने कर्मचारी आधे कर दिये हैं। शिक्षा, व्यापार सबकुछ बर्बादी के कगार पर है। आमजन का कहना है कि कोरोना इतना ही खतरनाक होता तो अब तक लाशों के ढ़ेर लग चुके होते। बता दें कि बीकानेर में एक लाख से अधिक टेस्ट हुए जिनमें से 3435 लोग ही पॉजिटिव निकले, यानी करीब साढ़े तीन प्रतिशत लोग पॉजिटिव पाए गये। इनमें से भी अधिकतर बिना लक्षण वाले पॉजिटिव थे। ऐसे में आमजन का बंद में विश्वास नहीं बन पा रहा है, वो परेशान है। जनजीवन सुचारू करके कोई दूसरा रास्ता निकालने की मांग उठ रही है। जानकारों का मानना है कि सरकार को आमजन की इम्यूनिटी बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाने चाहिए। कम इंटेनसिटी वाले इस कोरोना से भागकर अर्थव्यवस्था चौपट करना उचित नहीं माना जा रहा। बता दें कि हाल ही में 36 घंटे का पूर्ण बंद रखा गया था, जिसका विरोध भी देखने को मिला। वैक्सीन आने में अभी वक्त है, ऐसे में इसी सिस्टम पर चलकर कुछ हासिल नहीं होता दिख रहा। इस पूरे परिदृश्य में दैनिक जीवन में रुकावट डालने की बजाय इम्यूनिटी बढ़ाने पर काम करना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
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