03 August 2020 07:30 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। दो पार्षदों के वर्चस्व की लड़ाई में नगर निगम में भाजपा का बोर्ड बाल बाल बच गया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पिछले डेढ़ माह से बीजेपी बोर्ड को गिराने की तैयारी चल रही थी। इस पूरे काम में सार्दुलगंज क्षेत्र के एक निर्दलीय पार्षद ने मोर्चा संभाला रखा था। इस पार्षद ने बीजेपी के 18 व 6 निर्दलीय पार्षदों को साध रखा था। इनमें पश्चिम क्षेत्र के पार्षदों की अधिकता बताई जा रही है। ये काम बन भी जाता। लेकिन बोर्ड गिरवाने में किंग मेकर बनने जा रहे इस पार्षद को कोविड हो गया और कोविड ठीक होने तक इस पार्षद की मां की मृत्यु हो गई। ऐसे में कुछ दिनों के इस ब्रेक टाइम का फायदा एक अन्य पार्षद ने उठाना चाहा और सारी प्लानिंग चौपट कर डाली। इस पार्षद का दावा है कि आज भी कुल 24 पार्षद उसके साथ है। वहीं इन 24 के अलावा 25 कांग्रेसी पार्षद भी उसके साथ है। लेकिन उसके प्रतिद्वंद्वी पार्षद के पास दो पांच पार्षद भी नहीं मगर महत्त्वकांक्षा महापौर बनने की पाले बैठा है। हालांकि किंग मेकर बनने जा रहे इस पार्षद ने कांग्रेस की झोली में बोर्ड आने की स्थिति में महापौर का चेहरा तय करना मंत्री व आलाकमान का काम बताया है। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सत्ता को छोड़कर बीजेपी व बीजेपी समर्थित पार्षद खेमा क्यों बदलने लगे?? लेकिन इस निर्दलीय पार्षद का दावा है कि ये सभी पार्षद काम व सुनवाई न होने से परेशान हैं। वहीं पश्चिम के कुछ पार्षदों की आंखों को अर्जुन राम मेघवाल खटकते हैं, ऐसे में बोर्ड व बीकानेर बीजेपी में बढ़ रहे अर्जुन के वर्चस्व को वे स्वीकार नहीं कर रहे। वहीं निर्दलीय पार्षद ने बीजेपी में पश्चिम से जीरो नेतृत्व को बदलाव का तीसरा कारण बताया है। बहरहाल, राजनीतिक दांव-पेंच के समंदर से निकलकर आ रही इन बातों में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है मगर रविवार को अर्जुन द्वारा पार्षदों की मीटिंग भी इसी से प्रभावित बताई जा रही है।
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