06 December 2020 08:24 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। किसान आंदोलन की आग में अब कोरोना से बर्बाद हुआ व्यापार भी राख होने वाला है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि विधेयकों के विरोध में 8 दिसंबर को देशभर में हड़ताल का ऐलान हुआ है। पंजाब के किसानों द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन अब देशभर में अपना असर दिखाने लगा है। कांग्रेस सहित समस्त विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में जुट गया है। राहुल गांधी से लेकर अशोक गहलोत तक कांग्रेसियों ने किसान की इस हड़ताल का समर्थन किया है। एक तरफ केंद्र इन तीनों कृषि कानूनों को किसान हित का बता रहा है तो वहीं विपक्ष इन कानूनों को किसान विरोधी बता रहा है। इन कानूनों को काले कानून की संज्ञा दी जा चुकी है।
वाकई में यह कानून किसान हित के हैं या विरोधी, इस पर देश के किसानों में भी संशय बना हुआ है। मसला किसानों से अधिक राजनीति से जुड़ा लग रहा है। आंदोलन के बाद अब यह बंद कोरोना काल में बर्बाद हो चुके व्यापार की कमर तोड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में अधिकतर व्यापार बर्बाद हो चुके हैं। ऐसे बुरे हालातों में हड़ताल कर देश की प्रगति रोकना गलत है।
हालांकि किसानों के हित पर मुखर होना लोकतंत्रिक भी है, लेकिन दूसरों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति लोकतंत्र का दुरुपयोग भी कहा जा सकता है।राजस्थान में भी 8 दिसंबर के बंद को लेकर कुछ संगठन एक्टिव हो चुके हैं। अब यहां बंद कितना सफल होगा यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने प्रदेश की 247 मंडियां बंद करवाने का दावा किया है। इस बंद की सशर्त चेतावनी केंद्र व किसानों के बीच हुई वार्ता से पहले ही दे दी गई थी। मंडियों सहित बाजार बंद होने से देश को अरबों का नुक़सान होने का अनुमान है।
अब देखना यह है कि केंद्र बैकफुट पर आता है या विपक्ष समर्थित किसानों का आंदोलन बीजेपी की सत्ता पर खतरा बनकर मंडराता है। बता दें कि किसान आंदोलन परिवर्तन करवाते हैं। जानकारों का मानना है कि अगर यह किसान आंदोलन की यह आग दावानल का रूप ले ले, इससे पहले ही केंद्र को संभल जाना चाहिए। हालांकि सोशल मीडिया केंद्र सरकार के पक्ष में अधिक दिख रहा है।
RELATED ARTICLES
11 September 2025 07:58 PM
10 November 2020 11:41 PM