12 September 2020 11:42 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। 69 साल की वृद्धा से दुष्कर्म करने वाले 22 वर्षीय शैतान की अपील आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि महिलाओं की रक्षा के लिए न्यायाधीशों को महाभारत के श्रीकृष्ण की तरह कार्य करना चाहिए। मामला 14 जुलाई 2013 का है। इस दिन शाम सवा सात बजे मेंगलुरू के 22 वर्षीय नरेश ने एक 69 वर्षीय वृद्धा से चाकू की नोक पर दुष्कर्म किया था। आरोपी ने वृद्धा के दरवाजे पर जाकर आवाज दी। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, आरोपी ने चाकू से भय दिखाते हुए चिल्लाने की मनाही कर दी। इसके बाद आरोपी ने हैवानियत की हदें पार कर दादी की उम्र की वृद्धा से शारीरिक संबंध स्थापित किए। आरोपी ने जाते जाते वृद्धा के पास पड़े 5500 रूपए व पचास हजार रुपए के गहने भी लूट लिए थे। मामले में पुलिस ने जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 2014 में आरोपी को धारा 448, 376, 392, 397 व 506 आईपीसी के तहत सजा सुनाई। इसके तहत उस पर अधिकतम उम्र कैद तक की सजा व हजारों रूपए के अलग अलग जुर्माने लगाए गए। जेल भेजे जाने के बाद आरोपी की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में अपील लगाई गई। जिसे करीब 6 साल बाद हाइकोर्ट ने श्रीकृष्ण की गीता के दो श्लोक सुनाते हुए अपील खारिज कर दिया। गीता के अध्याय 4 के श्लोक 7 व 8 के अर्थ इस प्रकार है-
श्लोक 7 का अर्थ: हे भारत! जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब तब ही मैं अपने रूप को रचता हूं अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं।।
श्लोक 8 का अर्थ: साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग युग में प्रकट हुआ हूं।
उल्लेखनीय है कि महाभारत में जब द्रोपदी का चीर हरण होता है तब भगवान श्रीकृष्ण द्रोपदी की साड़ी को असीम करके उसकी लाज बचाते हैं।
हाइकोर्ट ने सभी कोर्टों को श्रीकृष्ण बनने की बात कह दी है। हाइकोर्ट ने यह भी कहा है कि कोर्ट महिलाओं की गार्जियन बनकर रक्षा करें। बता दें कि आरोपी 6 साल से जेल में सजा काट रहा है अब उसकी उम्र करीब 30 साल हो गई है। उल्लेखनीय है कि यह ऐतिहासिक फैसला जस्टिस बी विरप्पा व ई एस इंदिरेस की बेंच ने दिया है।
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