09 March 2021 09:47 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बड़े बड़े घोटालों में अब गंगाशहर का नंबर आने लगा है। पूर्व में गंगाशहर निवासी द्वारा फर्जी आईडी से बने फर्जी अकाउंट से शेयर मार्केट का काम कर इनकम टैक्स को करोड़ों का चूना लगाने के चर्चित मामले के बाद अब फर्जी फर्म से 651 करोड़ के फर्जी जीएसटी बिल काटकर 19.53 करोड़ के जीएसटी क्रेडिट टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। हद तो यह है कि जयपुर से आई स्टेट जीएसटी टीम को रेनिशा एंटरप्राइजेज नाम की फर्म का पता तो मिला मगर फर्म चलाने वाला अब तक भी अज्ञात है।
तीन दिन पहले आई टीम ने गंगाशहर, सुजानदेसर व बीकानेर के तीन पतों पर छापेमारी की। लेकिन दिए पते पर साधारण तबके का व्यक्ति मिला। अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने ऐसी किसी फर्म की जानकारी होने से इंकार कर दिया। सुजानदेसर घाटी निवासी कानमल गहलोत के यहां छापेमारी की बताते हैं। कानमल डिस्पोजल का काम करता है। उससे रेनिशा एंटरप्राइजेज सहित एक बिहारी के बारे में भी पूछताछ की गई। रेनिशा एंटरप्राइजेज नाम की इस फर्म ने कानमल के निवास पर फर्म संचालित होना बताया हुआ है तथा इसी जगह का किरायानामा भी फर्म रजिस्ट्रेशन के वक्त लगाया था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि फर्जी दस्तावेजों से बनाई गई इस फर्म के पते पर विभाग ने बिना इंस्पेक्शन किए ही फाइल पास कर दी, जबकि कानमल रेनिशा एंटरप्राइजेज व इससे जुड़ी किसी भी जानकारी से इंकार करता है। उसका कहना है कि उसने व उसके परिवार ने कभी किसी को किरायानामा नहीं दिया, उनके यहां कभी कोई फर्म संचालित नहीं हुई। विभाग के अनुसार रेनिशा एंटरप्राइजेज ने कर्नाटक की फर्मों से सोना खरीदना व वापिस वहीं की फर्मों को सोना बेचने के बिल काटे हैं। विभाग अब इस फर्म का पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई कर रहा है। मगर सवाल यह है कि इतना बड़ा घोटाला करने वाला आखिर है कौन?? इस कार्रवाई के उजागर होने के साथ ही गंगाशहर सहित पूरे बीकानेर के ज्वैलर्स भी सकते में आ गए हैं। वहीं अब तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि फर्जी फर्म का मालिक कोई ज्वैलर्स है या अन्य कोई व्यक्ति। इस घोटाले ने विभाग पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। घोषित व्यवसाय स्थल पर कभी फर्म संचालित ना होने के तथ्य ने फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन में विभाग की भूमिका भी संदिग्ध बना दी है। अगर विभाग ने घोषित व्यवसाय स्थल का इंस्पेक्शन किया होता तो फर्जीवाड़ा वहीं रुक सकता था। वजह किरायानामा भी फर्जी है। अब देखना यह है कि विभाग इस माफिया का पता लगा पाता है या रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई के साथ ही बात हवा हो जाती है। बता दें कि कार्रवाई करने वाली संयुक्त आयुक्त नरेंद्र सिंह की टीम में सहायक आयुक्त गजानंद मीणा व अरविंद राव, राज्य कर अधिकारी मुकेश कुमावत व अंकित अग्रवाल शामिल थे।
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