19 January 2021 11:40 PM
-- डॉ.कान्ति लाल यादव,उदयपुर
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।
प्लेटो ने कहा था -"भाषण मानव के मस्तिष्क पर शासन करने की कला है।"
किसी विद्वान ने कहा है कि मनुष्य बोलना 2 वर्ष में सीख जाता है लेकिन क्या बोलना है यह जीवन भर सीखता रहता है। तुलसीदास जी ने कहा है -"कोयल काको देत है कागा कासो लेत।
तुलसी मीठे वचन को जग अपनो करी लेत।।"
बोलना एक कला है किंतु कैसे? कब? क्या? और किस प्रकार? बोलना है यह भाषण कला से ही सीखा जाता है।
भाषण हेतु कुछ आवश्यक तथ्यों पर ध्यान देना अति आवश्यक है:----भाषण की शुरुआत कभी माफी या दीनता से नहीं करनी चाहिए बल्कि अच्छे कोटेशन, अच्छे कथन एवं अच्छी पंक्ति से करनी चाहिए ।
वक्ता भाषण के समय घबराहट ना करे :- भाषण में यदि घबराहट आए तो लंबी- लंबी गहरी सांस लेनी चाहिए ताकि ऑक्सीजन की मात्रा फेफड़ों में जाती है तथा हमें घबराहट से मुक्त करती है माइक्रोफोन के सामने जाते ही बोलना शुरू कर देना चाहिए। गलती हो जाने पर घबराना नहीं बल्कि संयम से काम ले।
ज्ञान की शक्ति:-
इस विषय पर हमें बोलना है उसका संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
तनाव मुक्त:- हम अपनी बात बहुत अच्छे ढंग से तभी कर सकते हैं जब हम तनावमुक्त हैं। हम अपने वक्तव्य को शुरू करने से पहले हम तनावमुक्त हो जाए।
विश्वास का जादू:- हम जिस बिंदु पर बोल रहे हैं उस पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए o2+ हाइड्रोजन +H2o (पानी)वैसे ही
विश्वास + प्रसन्नता = नई शक्ति को जन्म देती है।
जिस बिंदु पर बोलना हो उचित ढंग से तैयारी करें:-
भाषण में इशारों (हाव-भाव) का प्रयोग करें।
भाषण के शब्दों को रटे नहीं:-
भीतर से शब्दों को आने दे भूलने पर भाषण लड़खड़ा जाता है। अपनी स्वाभाविक बात को स्वाभाविक तरीके से रखने की पूर्ण कोशिश करनी चाहिए।
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