06 July 2024 05:25 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की विशेष रिपोर्ट) तपती गर्मी में वैसे तो बरसात का आना आनंद का विषय है लेकिन नाकारा सिस्टम व जनप्रतिनिधियों की वजह से गंगाशहर के इस मार्ग के लिए बरसात नासूर साबित होती है। बरसात आते ही यहां नदी सी बन जाती है। टूटी व गड्ढ़ेदार सड़क पर बरसाती नदी खतरे से खाली नहीं है। मजबूरी में लोग जैसे तैसे यहां से निकलते हैं तो कई बार गिर भी जाते हैं। बता दें कि गंगाशहर नोखा रोड़ का यह मार्ग वही मार्ग है जो बीकानेर के गौरव धर्म स्थल आचार्य श्री तुलसी के शक्ति पीठ को जाता है। इसी शक्ति पीठ को आचार्य तुलसी समाधि स्थल भी कहा जाता है। इतना ही नहीं हाइवे से इस मार्ग की एंट्री से शक्ति पीठ तक एक तरफ हंसा गेस्ट हाउस, रजनी विला, डागा पैराडाइज, डागा पैलेस व आशीर्वाद भवन है, जहां मंहगी मंहगी शादियां होती हैं। वहीं दूसरी तरफ यानी तुलसी समाधि स्थल से पहले बाफना स्कूल है जहां हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। समाधि के बाद भी सैकड़ों सैकड़ों घर हैं।
शुक्रवार शाम चार बजे हुई पहली बारिश के थम जाने के एक घंटे बाद भी यहां हालात खतरनाक थे। हालांकि बारिश के दौरान तो यहां से निकलना जैसे मौत को दावत देना ही है। हमारे नाकारा सिस्टम से कुछ भी छिपा नहीं है फिर भी बताते चलते हैं कि बारिश होने के साथ ही समाधि स्थल पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जो पहले से समाधि स्थल हैं उनका वापिस घर लौटना मुश्किल होता है। गंभीर विषय यह भी है कि समाधि स्थल पर जैन साधु संतों का विराजना भी होता है। जो गोचरी(भोजन प्राप्त करने के लिए) के लिए नहीं जा पाते। अगर मार्ग सही हो तो बारिश रुकने के एक निश्चित समय के बाद साधु संतों के आवागमन में कोई परेशानी ही ना हो। धर्म स्थली के मुख्य मार्ग के ऐसे हालात जन जन की धार्मिक भावनाओं को भी आहत कर रहे हैं। इन परिस्थितियों की वजह से धार्मिक गतिविधियों में बाधा पहुंचती है। तो वहीं स्कूली बच्चों की शिक्षा व भवनों में होने वाले वैवाहिक आयोजनों के संचालन में भी बाधा पहुंचती है। बता दें कि 15 जुलाई तक शादियां ही शादियां हैं। ऐसे में सजधज कर आयोजन में आने जाने वालों के कपड़े गंदे होते नजर आएंगे। बारातें बिगड़ जाती है, बारातियों के कपड़े भी गंदे हो जाते हैं, आनंद छिन्न जाता है। ऐसी ही नदी हाइवे के दूसरी ओर भी भर जाती है। यहां भी आवागमन में भारी बाधा पहुंचती है। सवाल यह है कि हाई टेक्नोलॉजी वाले इस युग में भी अगर इंसान को बरसाती नदियां पार करनी पड़ेगी तो यह काफी शर्मनाक बात है। हालांकि जन जन को इस समस्या से निजात दिलाने में बीकानेर नगर निगम की भूमिका मुख्य होनी चाहिए लेकिन निगम से उम्मीद इसलिए बेमानी है कि क्योंकि निगम ने तो पूरे बीकानेर नगरीय क्षेत्र के हालात बिगाड़ रखे हैं। निगम को ना छात्र छात्राओं की चिंता है, ना धर्म स्थल की कद्र तो फिर शादी ब्याह में उपयोग होने वाले भवनों, उनमें आने वाले लोगों व बारातियों की क्या फिक्र होगी। अगर सिस्टम चाहे तो इस जल भराव की समस्या का समाधान चुटकियों में किया जा सकता है, लेकिन चाह ही नहीं है तो राह कहां से मिलेगी। आगामी 3-4 माह बरसात का सीजन है। ऐसे में केवल मात्र हमारे नाकारा सिस्टम और मूक बनकर समस्याओं के खिलाफ आवाज ना उठाने वाले जनप्रतिनिधियों की वजह से पूरे बरसात के सीजन धर्म में, शिक्षा में और शुभकार्यों की खुशियों में बाधा पहुंचेगी। देखें वीडियो। यह वीडियो शुक्रवार शाम हुई पहली बारिश के रूकने के भी एक घंटे बाद बनाया गया है। देखें वीडियो
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