08 January 2025 10:33 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। क्या किसी महिला अथवा युवती(लड़की) की ईसीजी पुरुष स्टाफ द्वारा किया जाना उचित है? जवाब देने से पहले जान लीजिए, ईसीजी क्या है?
दरअसल, ह्रदय से संबंधी तकलीफ़ होने पर ह्रदय की ईसीजी करके उसकी विभिन्न विद्युत गति का पता लगाया जाता है। इस जांच में मरीज के सीने, हाथों व पैरों से संयंत्र को कनेक्ट किया जाता है।
ऐसे में स्वाभाविक है कि जब किसी महिला अथवा युवती की ईसीजी किसी महिला स्टाफ से करवाई जानी चाहिए।
बीकानेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम में भी आमतौर पर महिला मरीजों की ईसीजी महिला स्टाफ ही करती हैं। लेकिन मंगलवार की शाम पीबीएम की हल्दीराम अस्पताल में कुछ ऐसा हुआ जिससे पीबीएम की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होते हैं। मंगलवार को एक युवती की तबीयत बिगड़ी। जिस पर उसे मेडिसिन कैजुअल्टी ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने हार्ट से जुड़ी समस्या होने की आशंका व्यक्त करते हुए हल्दीराम रैफर किया। हल्दीराम अस्पताल की इमरजेंसी में ईसीजी करवाने की सलाह दी गई। युवती ईसीजी के लिए तैयार हो गई, लेकिन ईसीजी करने के लिए पुरुष स्टाफ आया। युवती ने नाम ना बताने की शर्त पर जानकारी दी कि स्टाफ ने ईसीजी के लिए सीने के ऊपरी वस्त्र हटाने के लिए कहा। लेकिन उसे ये बात नागवार गुजरी। मरीज ने पुरुष स्टाफ के सामने वस्त्र हटाने से साफ इंकार कर दिया। आरोप है कि स्टाफ ने यह तर्क भी दिया कि अस्पतालों में तो सब बराबर होते हैं और फिर आपकी माताजी भी सामने हैं।
युवती का कहना है कि उसने महिला स्टाफ की डिमांड की मगर स्टाफ नहीं मिली। बाद में गहमागहमी देख मौके पे आई महिला चिकित्सक ने समस्या भी सुनी मगर ईसीजी के लिए महिला स्टाफ उपलब्ध नहीं करवाई गई। जिस पर युवती बिना ईसीजी ही लौट गई।
सवाल यह है कि क्या ईसीजी करवाने के लिए अब महिलाओं को पुरुषों के सामने लज्जित होना पड़ेगा। जबकि पीबीएम में महिला स्टाफ की कमी नहीं है। युवती का कहना है कि उसके वहां रहते ही एक ग्रामीण महिला को ईसीजी के लिए ले जाया गया था, जहां अंदर वही पुरुष स्टाफ था। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है ? आप भी अपनी समस्या हमें बता सकते हैं।
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