29 August 2020 11:01 PM
-रोशन बाफना
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। भ्रूण हत्या व शिशुओं को लावारिश छोड़ने जैसे अपराधों में बीकानेर जिले का नोखा थाना क्षेत्र नंबर वन है। इस अति अमानवीय अपराध के मामलों की संख्या जिले के अन्य थाना क्षेत्रों की बजाय नोखा में एकतरफा जैसी है। यहां पिछले पांच वर्षों में भ्रूण हत्या, नवजात व शिशु के लावारिश मिलने के अठारह मामले आए। एडवोकेट अनिल सोनी द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम नियम के तहत इस विषय में 1 जनवरी 2015 से 1जनवरी 2020 तक का रिकॉर्ड मांगा गया था। पुलिस द्वारा दी गई सूचना के अनुसार इन वर्षों में चार जिंदा बच्चे लावारिश मिले। वहीं पांच मृत अवस्था में ऐसे भ्रूण मिले जिन्हें ठिकाने लगाया जा चुका था। वहीं आठ मामले नवजात मृत भ्रूण के आए तथा एक मामला नवजात जीवित शिशु का आया। नवजात मृत मिले भ्रूण में चार बालिकाओं के थे, वहीं एक नवजात जीवित बालिका भी मिली। चौंकाने वाली बात यह है कि इन अठारह मामलों में एक भी चालान नहीं हुआ यानी एक भी मामले में किसी को दोषी नहीं ठहराया गया। सवाल यह है कि मृत-जीवित भ्रूण से लेकर लावारिश छोटे बच्चे मिलने के इन अठारह मामलों में यह कैसे संभव है कि इनके पीछे कहीं कोई अपराध ही ना हुआ हो। क्या पुलिस यह मानती है कि बिना किसी अपराध के जिंदा/मृत भ्रूण अथवा शिशुओं को चोरी छिपे कोई माता-पिता ठिकाने लगा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि अपराध अधिकतर अनचाहे गर्भ अथवा शिशु जन्म से जुड़े होते हैं, ऐसे में अठारह मामलों में एक भी मामले में चालान पेश न होना सवाल खड़े करता है। उल्लेखनीय है कि पुलिस जिस प्रकार हत्या के मामलों में इन्वेस्टिगेशन करती है उसी प्रकार भ्रूण हत्या को भी गंभीरता से लेते हुए अनुसंधान करें तो ऐसे अपराधों पर रोक लगाई जा सकती है।
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