19 May 2020 03:38 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पान मसाला, गुटखा व जर्दा प्रतिबंधित होना ही बड़े व्यापारियों के लिए वरदान बन गया है। इन पदार्थों के आदी बन चुके मजबूर उपभोक्ताओं को पांच रूपए का पाउच अब चालीस-पचास रूपए तक भी खरीदना पड़ रहा है। बीकानेर सहित पूरे राज्य में यही हाल है। दूसरे राज्यों से राज्य के विभिन्न जिलों में माल धड़ल्ले से आ रहा है। छोटे-छोटे दुकानदारों व छुटकर तस्करों के माध्यम से यह माल मनचाहे भावों में बेचा जा रहा है। ये पदार्थ खाने वालों में बेचैनी रहने लगी है। यहां तक कि कई लोग तो दिनभर इन सबके सस्ते जुगाड़ में ही लगे रहते हैं। इसी वजह से कालाबाजारी फल-फूल रही है। लेकिन इसकी मूल है फैक्ट्रियां, यह ज्यादातर यूपी, दिल्ली व गुजरात आदि में है, ऐसे में उत्पादन लगातार हो रहा है। राज्य में प्रतिबंध के बावजूद इन फैक्ट्रियों द्वारा माल भेजा जा रहा है और बड़ी मछलियों द्वारा धड़ल्ले से माल खरीदा जा रहा है। ख़ासकर रजनीगंधा व तानसेन बड़े ही शातिर तरीके से तस्करी किया जा रहा है, और ग्राहकों तक पहुंचाने में बड़ी मछलियां बड़ी चालाकी से खुद के हाथ जलने से बचा रही है। बताया जा रहा है कि रामदेव पान भंडार व मांगी मोती इस ब्रांड के बड़े खिलाड़ी हैं। लेकिन प्रतिबंध की वजह से ये लोग खुलेतौर पर बिक्री कर नहीं पा रहे हैं। इस पूरे खेल में आमजन का बहुत अधिक शोषण हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि अगर आमजन को लुटने से बचाना है तो बड़ी मछलियों को पंजे में जकड़ना होगा। लेकिन सूत्र यह भी कहता है कि बड़ी मछलियां ताकतवर है, वह समंदर में राज करने के सारे तरीके जानती है। हालांकि बीछवाल की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी व कुछ सप्लायरों सहित एक समाजसेवी शिक्षण संस्थान मालिक के बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा व सिगरेट पकड़ा जा चुका है। तानसेन तो पांच लाख का पकड़ा गया था। वहीं आज गंगाशहर पुलिस ने विमल भी पकड़ा। सूत्र कहता है कि बड़ी मछलियां ये माल ऐसे ही बेचती रहेगी। अब सवाल यह उठता है कि आज तक इन बड़ी मछलियों तक कानून का पंजा क्यों नहीं पहुंचा।
RELATED ARTICLES
11 September 2025 05:22 PM
11 February 2022 12:08 AM