02 October 2020 01:31 PM

ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अनुसूचित जाति के व्यक्ति से मारपीट व गाली गलौच के आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार होने के साथ ही जांच अधिकारी सीओ नेमसिंह चौहान की बड़ी चूक सामने आई है। चूक इसलिए कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान एससीएसटी का मुकदमा झूठा होने का दावा किया गया। मामले में सभी पक्षों पर ध्यान देते हुए कोर्ट ने जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। मामला सुरधना गांव का है। दरअसल, किशन की मां ने मूलसिंह सहित अन्य के खिलाफ देशनोक थाने में परिवाद दिया था, जिस पर देशनोक थानाधिकारी ने दोनों पक्षों को पाबंद कर दिया।
बताया जा रहा है कि इस परिवाद में एससीएसटी एक्ट का कहीं जिक्र नहीं किया गया था। लेकिन जब कार्रवाई पाबंद करने तक ही हुई तब परिवादिया नयी अर्जी के साथ एसपी बीकानेर के समक्ष पेश हुई। इस परिवाद में जातिसूचक गालियों का आरोप जोड़ा गया था। जिस पर एसपी बीकानेर ने थानाधिकारी को मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। इस मामले की जांच सीओ नेमसिंह चौहान ने की। अधिवक्ता अनिल सोनी का कहना है कि एक ही दिन व एक ही समय के घटना पर दो तरह के परिवाद दिए गए। दूसरे परिवाद पर मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन जांच अधिकारी ने सही जांच नहीं की। कोर्ट ने इन्हीं तर्कों के आधार पर आरोपी मूलसिंह को जमानत दे दी। सोनी के अनुसार मामले में एससीएसटी एक्ट लगता ही नहीं था। वहीं जांच अधिकारी ने पूर्व में दिए परिवाद पर ध्यान नहीं दिया।
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