15 February 2021 10:39 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पीबीएम में कैंसर की दवा सप्लाई की टेंडर प्रक्रिया में हो रहा गड़बड़झाला सामने आया है। मामला हाल ही में जारी हुई ई निविदा नंबर 13/2021 से जुड़ा है। एडवोकेट अनिल सोनी से मिली जानकारी के अनुसार उनके क्लाइंट वीके एंटरप्राइजेज ने इस टेंडर में भाग लिया था। लेकिन टेंडर पर विचार करने वाली कमेटी ने वीके एंटरप्राइजेज को तकनीकी आधार पर असक्षम मानते हुए टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया। कारण बताया गया कि फर्म का लाइसेंस एक्सपायर हो चुका है, जबकि फर्म के ड्रग लाइसेंस का नवीनीकरण हो रखा था। इस पर एडवोकेट अनिल सोनी के मार्फत प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज को अपील की गई। प्रिंसिपल ने राजस्थान औषधि नियंत्रक एवं नियामक अधिकारी जयपुर से लाइसेंस की स्थिति व नियमों पर राय ली तो पता चला कि वीके एंटरप्राइजेज का लाइसेंस तो 2023 तक वैध है। ऐसे में प्रिंसिपल ने फर्म को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर दिया है।
आरोप है कि कमेटी ने अपनी चहेती फर्मों को लाभ पहुंचाने के लिए वीके एंटरप्राइजेज को ग़लत तरीके से टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया। मामले में कमेटी सदस्यों की मिलीभगत बताई जा रही है। सोनी के अनुसार इस कमेटी में कैंसर अस्पताल के डॉ सुरेंद्र बेनीवाल, डॉ कमलेश हर्ष व वरिष्ठ लेखाधिकारी पीबीएम शामिल है। सवाल यह है कि कैंसर की दवा से अपनों की चांदी करवाने के पीछे इस कमेटी का क्या फायदा हो रहा था ??
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