11 December 2021 01:25 PM

	
				  
				      	 
			     
	
				  
				      	 
			     
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।(रोशन बाफना) जिले के चार सौ पंद्रह परिवारों की आशा पर एक बार फिर पानी फिर गया। शुक्रवार को भी निगम ने स्वास्थ्य विभाग के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं किए। कर्मचारी देर रात तक खाते में पैसे क्रेडिट होने की आस में मोबाइल के इनबॉक्स में टकटकी लगाए रहे। आज सुबह से भी यही हाल है लेकिन शनिवार को भी अभी तक पैसे नहीं आए। ऐसे में चार सौ पंद्रह कोविड स्वास्थ्य सहायकों की सैलरी आज भी सिस्टम की लापरवाही से अटकी हुई है। सीएमएचओ डॉ ओपी चाहर ने बताया कि निगम की तरफ से अभी तक उनके विभाग के खाते में पैसे नहीं आए हैं। अब मामला सोमवार पर चला गया है। बता दें कि इन चार सौ पंद्रह सीएचए की दिवाली भी फीकी गई थी, अब सात माह पूरे होने को है, 19 दिनों बाद 2021 भी खत्म हो जाएगा। सैलरी के नाम पर बेबस कर्मचारी चक्कर काटने को मजबूर है। शुक्रवार को भी निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना से मिले, मगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ओपी चाहर ने भी निगम पर निर्भरता जाहिर की थी। बीकानेर नगर निगम क्षेत्र के 280 कोविड सहायकों को निगम के माध्यम से भुगतान होना था। सरकार ने निगम के खाते में पैसे भी जमा करवा दिए। वहीं देशनोक, नोखा व श्रीडूंगरगढ़ पालिका क्षेत्र में लगे 135 कर्मचारियों के भुगतान की जिम्मेदारी पालिकाओं की थी। पालिकाओं के पास भी पैसे आ गए थे। मगर अभी तक भुगतान नहीं किया गया। हालांकि देशनोक पालिका ने सितंबर तक का अधूरा भुगतान किया है। जबकि इन सभी की जून से अब तक की सैलरी बकाया है। सीएमएचओ डॉ ओपी चाहर ने कहा है कि उनके विभाग ने निगम को बिल भेज दिए थे। निगम स्वास्थ्य विभाग को भुगतान करेगा, तब वे कर्मचारियों को भुगतान कर पाएंगे। दिवाली के समय भी निगम आयुक्त व सीएमएचओ ने आश्वासन दिए थे, मगर वचन नहीं निभाया। नतीजा ये हुआ कि कोरोना के बाद लौटी खुशियों की दिवाली उदासीभरी रही।
सवाल यह है कि जब बजट संबंधित एजेंसियों के खाते में ट्रांसफर होने के बाद भी सैलरी भुगतान में महीनों लगाए जाएंगे तो भविष्य में सैलरी कौन व कब देगा?? बहुत सारे कोविड सहायकों का कहना है कि वे इतने समय से कर्ज लेकर घर चला रहे हैं। मेहनत करके भी सैलरी ना मिलने से उन्हें कर्जदार तो होना ही पड़ा बल्कि घर से ब्याज भी भुगतना पड़ रहा है। पिछले कई माह से इन कोविड सहायकों की जिंदगी बेहद तनावग्रस्त हो गई है। कईयों के घरों में इसी वजह से रोज झगड़े होते हैं। अब देखना यह है कि इन अल्पवेतनभोगियों की समस्या भारी भरकम तनख्वाह पाने वाले सक्षम अधिकारियों को कब समझ आती है।
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