26 April 2022 02:50 PM
-मोटिवेशनल वाइब्स- रोशन बाफना (पत्रकार-लेखक)
यह दुर्दशा तुम्हारी निद्रा का दुष्परिणाम है। तुम्हें यह होश ही नहीं है कि तुम कहां खड़े हो। किस दिशा में जा रहे हो। ना दशा का अहसास है ना दिशा का ठिकाना। यह ठीक वैसा ही है जैसे एक नशेड़ी के साथ होता है। नशा चेतन होते ही वह चेतना शून्य हो जाता है। भूत, वर्तमान व भविष्य से अनभिज्ञ नशेड़ी जिम्मेदारी और अधिकार के अहसास से भी दूर होता चला जाता है। ऐसी ही हालत तुम्हारी है। फिर तुम किस्मत को दोष देते हैं। फिर तुम परिवार व समाज को दोष देते हो। दोष केवल तुम्हारा है, श्रेय भी तुम्हारा होगा। जीत हार सब तुम्हारी है। तुम्हें ही इसके सुख दुख भोगने हैं। समय और व्यक्ति को पहचानना सीखो। कोशिश करो, पहचान जाओगे।
यह सच है कि तुम परेशान हो। समस्याओं ने तुम्हें हर ओर से घेर लिया है। सारे रास्ते बंद दिख रहे हैं। सबकुछ बिखरा हुआ लग रहा है। उम्मीदें भी टूट चुकी है। तुम्हारी किसी बात का कोई प्रभाव भी नहीं हो रहा। हां, तो क्या! रोते रहोगे? सहते रहोगे? अरे! भाई, भिड़ जाओ समस्याओं से। समाधान की तलाश करो। समाधान मिलेगा। कर्म भी करना पड़ेगा, निरंतर करना पड़ेगा। तुम पहले इंसान थोड़ी हो जिस पर विपदाएं आईं हैं। तुम पहले इंसान थोड़ी हो जिसे हर वक्त युद्ध लड़ना पड़ रहा है। हर सफल व्यक्ति इस दौर से गुजरा है। बल्कि सफल वही हुआ, जिसे ये विपदाएं, समस्याएं और बुरे हालात मिले। सुख में पलने वाले तो उतना ही पाते हैं जितना पीछे वाले छोड़कर जाते हैं। पुरुषार्थ से हासिल करने वाले ही कुछ बड़ा करते हैं।
यकीन करो, हालात बदल जाएंगे। आगे बढ़ो। विपदाओं को आंख दिखाओ। यह सब तभी होगा जब तुम जाग जाओगे। समस्याओं और सपनों के बीच बने उलझनों के भंवर में से समाधान निकाल लोगे। अवसर तलाश कर उन्हें भुनाने लगोगे। पल पल का हिसाब तुम्हारे पास रहने लगेगा। आबादी और बर्बादी के प्रति जागरुकता रहने लगेगी। एक बार निद्रा से जागकर देखो। एक बार विपदाओं को आंख दिखाकर देखो। एक बार खुद की खामियों को जानकर देखो। एक बार समय व व्यक्ति को पहचानकर देखो। अच्छा समय तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। बस देरी है तो उसे समझने की। लड़ना मत छोड़ना, तुम्हारा समय जल्द आएगा।
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