24 August 2021 03:51 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अपराध रोकने की प्रक्रिया जब महज खानापूर्ति बन जाती है तब किसी भी कानून को बनाने की मूलभावना ही नष्ट हो जाती है। ऐसा ही बाल श्रम से जुड़े मामलों में हो रहा है। जिले में कई हजारों बालकों से श्रम करवाया जा रहा है। मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ टारगेट पूरे करने की खानापूर्ति होती है। पुलिस विभाग का मानव तस्करी व गुमशुदा प्रकोष्ठ बाल श्रम रोकने के लिए अधिकृत है। इसके अतिरिक्त चाइल्ड हेल्पलाइन भी बाल श्रम रोकने के लिए अधिकृत है। लेकिन ये सभी महज टारगेट पूरे करने जितनी ही कार्रवाई करते हैं। बीती रात भी इसी तरह की खानापूर्ति के तहत पांच बालकों को मुक्त करवाया गया। चाइल्ड लाइन 1098 के जिला समन्वयक, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अरविंद सिंह व रेस्क्यू टीम ने नयाशहर थाना क्षेत्र की पूगल रोड़ स्थित कपिल आईस फैक्ट्री में दबिश दी। फैक्ट्री में पांच बालकों से बालश्रम करवाया जा रहा था। सभी को मुक्त करवाया गया। वहीं आईस फैक्ट्री के मालिक महेश कुमार के खिलाफ 3,7,11,4 बाल प्रतिषेध अधिनियम 1986 व 79 किशोर संरक्षण एवं देखरेख अधिनियम 2015 व 374 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की जांच उनि पिंकी गंगवाल को दी गई है।
सवाल यह उठता है कि पढ़ लिखकर भविष्य बनाने की उम्र में होटलों पर बर्तन धोने, दुकानों-गोदामों में माल ढोने, चाय देने सहित अनेकों तरह का श्रम करने वाले उन कई हजारों बालकों की सुध कौन लेगा, जो टारगेट के आंकड़े से बाहर हैं।
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