17 January 2021 11:12 PM

ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पीबीएम के जनाना अस्पताल में प्रसूता के साथ हुई मारपीट मामले में सनसनीखेज ख़बर सामने आ रही है। शुक्रवार रात को जनाना के लेबर रूम में प्रसूता गीता देवी जाट को नर्स ने थप्पड़ जड़ दिया था। देर रात मामले की सूचना ख़बरमंडी न्यूज़ के पास आई। शनिवार को प्रसूता की जानकार आशा देवी से बात की तो बताया गया कि लेबर रूम की नर्स ने गीता देवी को थप्पड़ मारा। रविवार को प्रिंट मीडिया ने भी मामले को उठाया। मीडिया में पोल खुली तो पीबीएम अधीक्षक डॉ परमेंद्र सिरोही ने जांच कमेटी गठित की। तीन सदस्यीय जांच कमेटी में पीबीएम उप अधीक्षक मीरा मिश्रा, एच ओ डी कमलेश यादव व नर्सिंग कर्मी दिनकर को शामिल किया गया। सूचना मिली है कि अधीक्षक की जांच कमेटी ने ही पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाकर बयान बदलवा दिए हैं। पीबीएम के सूत्रों की मानें तो स्वयं अधीक्षक ने ही न्याय करने की जगह पीड़ितों को सैटल करने की जिम्मेदारी कमेटी को सौंपी। ख़ासतौर पर यह जिम्मेदारी दिनकर को सौंपी बताते हैं। मामले में पीड़ित पक्ष से बात करने का प्रयास किया गया मगर बात नहीं हो पाई। हालांकि अभी तक यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि पीड़ित पक्ष द्वारा बयान बदलने के पीछे किस तरह का दबाव रहा। बता दें कि हमारे पास पीड़ित पक्ष द्वारा मारपीट की घटना की पुष्टि करने वाली रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है। ऐसे में पीबीएम अधीक्षक डॉ सिरोही शक के दायरे में आ गये हैं। जबकि जनाना में हुई इस घटना की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषी पर कार्रवाई करना अधीक्षक का दायित्व बनता है। ख़बर लगने के बाद पाठकों से मिले फीडबैक से मालूम हुआ है कि प्रसूताओं को थप्पड़ मारने की यह पहली घटना नहीं है, बल्कि ऐसा तो अक्सर होता है।
उल्लेखनीय है कि पीबीएम अधीक्षक ने पहले भी पीबीएम के गंभीर मसलों को अनसुना किया है। हाल ही में पीबीएम के सर्जरी विभाग में भर्ती एक मरीज की जांचें एक प्राइवेट लैब से करवाईं गई थी। ये सभी जांचें पीबीएम में मुफ्त में होती थी, बावजूद इसके ये जांचें एक प्राइवेट लैब से करवाई गई। जिस लैब से ये जांचें करवाईं गई, वह पीबीएम के नर्सिंग कर्मी अर्पित शर्मा का बताया जाता है। इसके सबूत भी हमारे पास है। मरीजों से हो रही इस खुल्लमखुल्ला लूट पर भी अधीक्षक चुप रहे। ऐसे में अधीक्षक व जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े होते हैं। अब देखना यह है कि प्रसूता से मारपीट के मामले को लेकर अधीक्षक कोई ठोस कदम उठाते हैं या दबाव बनाकर बदलवाए गए बयानों के सहारे दोषियों का सरंक्षण करते हैं। मसला गंभीर है, आमजन पीड़ित हैं फिर क्यों ये जिम्मेदार संवेदनहीन हैं, यही सवाल है।
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