17 April 2022 05:14 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।(पत्रकार रोशन बाफना की विशेष रिपोर्ट) शहरों की तर्ज पर बीकानेर शहर के युवा भी अब एक खतरनाक व सोने(गोल्ड) से भी मंहगे नशे की चपेट में हैं। अफीम को परिष्कृत कर बनाया जाने वाला यह नशीला पदार्थ स्मैक है। यह नशा ना सिर्फ तन, मन व कैरियर को बर्बाद करता है बल्कि परिवार व समाज को भी बर्बाद कर रहा है। कहते हैं कि अगर किसी को बर्बाद ही करना हो तो उसे एक बार स्मैक का नशा करवा दो। कारण, स्मैक का नशा एक दो बार करते ही आदत बन जाता है। दूसरा यह नशा बहुत मंहगा है। ऐसे में हालात यह है कि स्मैक के नशे के आदी बन चुके युवा गलत रास्तों पर भी जा रहे हैं। स्मैक की लत्त इतनी खतरनाक व मंहगी है कि स्मैक खरीदने के लिए पैसों का जुगाड़ ना होने पर नशेड़ी युवा जुआ, सट्टा व तस्करी से लेकर हत्या जैसे गंभीर अपराध करने पर भी मजबूर हो जाते हैं।
कैसे बनती है स्मैक:- स्मैक किसी पौधे का प्राकृतिक रूप नहीं है। यह अफीम को परिष्कृत कर बनाया जाने वाला खतरनाक पदार्थ है। जानकारों के मुताबिक अफीम में चूना मिलाकर उसको गर्म किया जाता है। इसमें एसिटेट एनहाइड्राइड नाम का केमिकल मिलाया जाता है। बिल्कुल गर्म होने पर अफीम फट जाता है। फटा हुआ अफीम गाढ़ा पदार्थ बन जाता है। यही स्मैक है। इसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है जो तस्कर द्वारा युवाओं तक पहुंचाया जाता है।
-सोने(गोल्ड) से भी मंहगा, इसलिए उपलब्धता अधिक:- दरअसल स्मैक लाखों की कीमत में मिलने वाला नशा है। जानकारों के मुताबिक एक किलो अफीम से तीस ग्राम स्मैक बनती है। ऑरिजनल स्मैक की लागत ही करीब 33-35 लाख रूपए किलो आती है।
नशेड़ियों तक इसे सस्ती रेट में उपलब्ध करवाने के लिए इसमें नशे की गोलियां, पेरासिटामोल सहित कई तरह की दवाईयां मिला दी जाती है। इसके अलावा कई केमिकल भी मिलाए जाते हैं। तब जाकर यह चौथाई कीमत में मिल जाता है।
सूत्रों के मुताबिक बीकानेर शहर में एक चौथाई ग्राम स्मैक की पुड़िया 250 रूपए में बिकती है। यह स्मैक मिलावटी होती है। इस मिलावटी स्मैक का बाजार मूल्य करीब 10 लाख रुपए किलो है।
बीकानेर शहर में यहां मिलती है स्मैक:- बीकानेर नगरीय क्षेत्र में इस मंहगे नशे का बड़ा कारोबार है। चलते फिरते छोटे छोटे तस्करों से लेकर हाइवे की बड़ी होटलों तक में स्मैक मिल जाती है। होटलों में तो स्मैक पीने व अय्याशी करने के लिए कमरा भी उपलब्ध करवा दिया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक नाथ जी का धोरा, नत्थूसर गेट, जस्सूसर गेट, भाटों का बास, मुरलीधर, रामपुरा बस्ती, मुक्ताप्रसाद नगर, पूगल रोड़, गिन्नाणी, जयनारायण व्यास कॉलोनी, मूर्ति सर्किल, जयपुर रोड़, जोधपुर-जयपुर बाईपास के कुछ होटल-रिसोर्ट, पवनपुरी, नागणेची जी मंदिर क्षेत्र व शिवबाड़ी सहित शहर के कई इलाकों में स्मैक मिल जाती है। कुछ बार भी स्मैक का नशा करवाते हैं।
-ऑन कॉल भी बिकती है स्मैक:- बीकानेर में स्मैक की ऑनलाइन बिक्री भी होती है। कुछ ग्रुप ऐसे हैं जो वाट्सअप कॉल पर ऑर्डर की सुविधा देते हैं। हालांकि इसके लिए मजबूत व्यक्ति का रेफरेंस भी अनिवार्य है। अगर मजबूत व्यक्ति का रेफरेंस हो तो ऑर्डर बुक करके डिलीवरी का स्थान तय किया जाता है।
-ऐसे ली जाती है स्मैक:- स्मैक पाउडर रूप में होती है। नशेड़ी इस पाउडर को सिल्वर पेपर पर जलाकर नाक से उसे सूंघते हैं। धुंआ नाक में जाता है और नशा नसों में रमने लगने लगता है।
अक्सर लोग घरों में अथवा सुनसान स्थानों पर स्मैक का नशा करते हैं।
-तन, मन व धन सहित सब हो जाता है सत्यानाश:- स्मैक का नशा हर प्रकार से खतरनाक है। यह बर्बादी का दूसरा नाम है।
पीबीएम नशा मुक्ति विभाग के विशेषज्ञ डॉ हरफूल सिंह विश्नोई के अनुसार स्मैक बहुत तेजी से आदी बनाने वाला नशा है। एक-दो बार लेते ही आप इसके आदी बनने लगते हैं।
स्मैक का नशा करने वाला व्यक्ति किसी काम का नहीं रहता। डॉ हरफूल के अनुसार स्मैक का नशा करने से शुरुआती तौर पर भूख की कमी, वजन घटना जैसी समस्याएं होने लगती है। शुरुआत में वह काम अधिक जोश से करने लगता है, दूसरी तरफ भूख की कमी से भोजन कम होने लगता है। ऐसे में अन्य कई शारीरिक समस्याएं पैदा होने लगती है। धीरे धीरे स्मैक की आदत बढ़ने लगती है। अधिक मात्रा में नशा लेना पड़ता है। परिणामस्वरूप, उसका किसी किम में मन नहीं लगता। व्यक्ति नींद व नशे में पड़ा रहता है। उसे पारिवारिक व सामाजिक सुखों की अनुभूति होना ही बंद हो जाती है। स्मैक नर्वस सिस्टम पर तुरंत ही बुरा असर डालता है। अधिक नशा करने से व्यक्ति मानसिक रोगी बनने लगता है। डॉ हरफूल सिंह के अनुसार हार्ट व किडनी की बीमारी सहित खून की नसों में समस्या आने लगती है। व्यक्ति पैरालाइज्ड तक हो सकता है। इस नशे को नाक से सूंघा जाता है। ऐसे में नाक व फेफड़े का अल्सर भी हो सकता है।
परिवार हो जाता है बर्बाद:- स्मैक का नशा परिवार की मानसिक व आर्थिक स्थिति पर बेहद बुरा असर डालता है। कैरियर बनाने व पैसे कमाने की उम्र में घर का चिराग नशे में डूबा रहता है। धीरे धीरे हालात यह होते हैं कि घर की जिम्मेदारी भी भूलने लगता है। बीवी बच्चों के प्रति भी लगाव खत्म होने लगता है। दूसरी तरफ मंहगी स्मैक खरीदने के पैसे का जुगाड़ करने के लिए आपराधिक रास्ते चुन लेता है। जुआ, सट्टा, तस्करी जैसे कार्य कर स्मैक के लिए पैसे जुटाने का काम होता है।
इन कारणों से लगती है स्मैक की लत्त:- स्मैक की उपलब्धता ही युवाओं में इसकी लत्त लगाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है। पूरी तरह से गैरकानूनी होने के बावजूद धड़ल्ले से स्मैक की तस्करी होती है। सूत्रों की मानें तो पुलिस को भी स्मैक तस्करों की जानकारी रहती है मगर कार्रवाई के नाम पर बस खानापूर्ति की जाती है।
वहीं दूसरा बड़ा कारण संगत है। अगर एक दोस्त भी स्मैक लेता है तो दूसरा दोस्त उसके प्रभाव में आकर स्मैक लेने लगता है। तीसरा कारण घर से दूरी भी है। रोजगार के लिए घर से दूर रहने वाले युवा भी विभिन्न कारणों से नशा करने लगते हैं। चौथा कारण सेक्स पावर का मिथक। ऐसा मिथक प्रचलित है कि स्मैक लेने से सेक्स पावर बढ़ती है। जबकि डॉ हरफूल सिंह का दावा है कि यह मिथक है। उल्टा स्मैक की आदत होने के एक समय बाद सेक्स पावर खत्म तक हो जाती है।
स्मैक का नशा छोड़ना संभव, 2-3 माह की दवा से बदल जाएगा जीवन:- विशेषज्ञ डॉ हरफूल सिंह के अनुसार स्मैक का नशा छुड़वाना बिल्कुल संभव है। 2-3 माह की दवा से ही नशे की आदत छूट जाती है। हालांकि स्मैक के नशे से उत्पन्न साइड इफेक्ट्स के इलाज के लिए भी जरूरत अनुसार दवाई कुछ समय चलानी पड़ती है।
नशा छुड़वाने में परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। परिवार अगर नशेड़ी युवा को प्रेम पूर्वक समझाकर मनोबल बढ़ाए तो युवा जल्द ही नशे पर विजय प्राप्त कर लेता है।
अगर आपके आस पास भी कोई स्मैक का नशा करता है तो उसे तुरंत पीबीएम अस्पताल के नशामुक्ति विभाग में ले जाएं। उससे नफ़रत ना करें बल्कि नशा छुड़वाने के लिए प्रेम पूर्वक प्रेरित करें।
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