31 March 2022 02:26 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की रिपोर्ट) नशीली व नींद की गोलियों की गिरफ्त में आकर युवा पीढ़ी स्वयं व अपने परिवार को तबाह कर रही है। आमजन परेशान है और बेबस है, वहीं सरकारी तंत्र अपना दायित्व निभाने में कहीं ना कहीं फिसड्डी साबित हो रहा है। पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो 2022 के प्रथम तीन माह में पुलिस ने केवल मात्र 82 अवैध गोलियां पकड़ी है। जबकि 2021 में 1 लाख 46 हजार 771 गोलियां पकड़ी। 2020 में 3 लाख 95 हजार 151 गोलियां पकड़ी। वहीं 2019 में 1 लाख 85 हजार 188 गोलियां पकड़ी।
पिछले तीन सालों में सर्वाधिक गोलियां 2020 में पकड़ी गई। हालांकि अवैध नशीली गोलियों के खिलाफ हुई इन कार्रवाईयों से बीकानेर शहर में नशे की कमर नहीं टूटी। वजह, अधिकतर तस्कर जोधपुर व फलौदी से गोलियां लेकर पंजाब में सप्लाई हेतु जाने वाले थे। पंजाब के लोगों में इन गोलियों की लत्त चरम पर है। बात बीकानेर शहर की करें तो यहां पुलिस बिल्कुल ढ़ीली है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक नयाशहर थाना क्षेत्र में इन गोलियों का नशा सबसे अधिक होता है। वहीं अवैध बिक्री में सदर थाना क्षेत्र व नयाशहर क्षेत्र कॉम्पिटिशन में रहते हैं।
सदर क्षेत्र में पीबीएम रोड़, भुट्टों का चौराहा व गंगानगर चौराहा अवैध बिक्री का मुख्य केंद्र है। वहीं नयाशहर के चप्पे चप्पे में ये अवैध व्यापार होता है। सूत्रों के मुताबिक पंडित धर्मकांटा, पूगल रोड़, मुक्ताप्रसाद, बंगला नगर, चौखुंटी, करमीसर गांव, भाटों का बास, विश्नोई बास, मुरलीधर, परकोटे के अंदरूनी शहर सहित विभिन्न इलाकों में इन गोलियों की अवैध बिक्री होती है।
ये है कार्रवाई करने के लिए अधिकृत: नशीली गोलियों की अवैध बिक्री व तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस व ड्रग इंस्पेक्टर अधिकृत है। किसी भी अधिकृत मेडिकल स्टोर द्वारा अवैध बिक्री की जाती है तो ड्रग कंट्रोलर उस अनुज्ञापत्र धारक के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। वहीं मेडिकल स्टोर से बाहर कहीं भी इन गोलियों की बिक्री होती है तो वहां पुलिस की भूमिका आ जाती है।
- कार्रवाई में दोनों ही फिसड्डी मगर: इन अवैध नशीली गोलियों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस व ड्रग इंस्पेक्टर दोनों ही फिसड्डी साबित हो रहे हैं। हालांकि पुलिस के अधिकार क्षेत्र में अवैध बिक्री अधिक होती है। अगर पुलिस व ड्रग इंस्पेक्टर अपना काम बेहतर तरीके से करे तो शहर के हजारों हज़ारों परिवार बर्बादी से बच सकते हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस थानों को नशाखोरी के सारे अड्डे पता है मगर इच्छाशक्ति की कमी है।
-नयाशहर थाना क्षेत्र हो रहा सबसे अधिक बर्बाद: ट्रामाडोल, टेंपटाडोल जैसी खतरनाक नशीली गोलियों सहित नाइट्रोजिपाम, एल्प्राजोलाम, लोराजिपाम, क्लोनाजिपाम आदि नींद की गोलियों ने नयाशहर थाना क्षेत्र के युवाओं को सबसे अधिक चपेट में लिया है। यहां के युवा अलग अलग जगह अड्डेबाजी करते हैं, जहां इन गोलियों का सेवन करना सीखते हैं। धीरे धीरे वे इसके आदी हो जाते हैं।
-गोलियां बना रही पंगु, ना रोजगार की तलाश ना जिम्मेदारी का अहसास: इन नशीली व नींद की गोलियों का सेवन करने वाला हर वक्त नशे में ही रहता है। एक डोज का नशा उतरता नहीं और दूसरी डोज लेनी पड़ जाती। हालात यह है कि पढ़ाई से लेकर काम धंधे तक कहीं मन नहीं लगता। परिवार की जिम्मेदारी का भी भान नहीं रहता। ऐसे में नशे का आदी हुआ एक युवा एक पूरे परिवार को बर्बाद करता है।
अब देखना यह है कि पुलिस व ड्रग कंट्रोलर समाज की इस सबसे बड़ी समस्या पर कितना गंभीर होते हैं।
अगर आप भी नशे के खिलाफ इस अभियान से जुड़ना चाहते हैं तो हमसे जुड़ें। नशा बिक्री व नशाखोरी के ठिकानों की पुख्ता जानकारी हमें दें। आप हमें इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। ख़बरमंडी-9549987499, रोशन बाफना-7014330731
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