30 May 2023 11:52 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर।(हिंदी पत्रकारिता दिवस पर पत्रकार रोशन बाफना का विशेष आलेख) आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। स्पष्ट है, पत्रकारिता पर खूब बातें होंगी। लेकिन सवाल ये है कि पत्रकारिता क्या, क्यूं और किसके लिए? पत्रकार होना आम बात नहीं है, बशर्ते व्यक्ति चरित्र से पत्रकार हो। कटु है मगर सत्य है कि पत्रकारिता अपने विनाश की ओर है। इसका विनाश कोई और नहीं बल्कि पत्रकार स्वयं कर रहा है। वह पत्रकार जो केवल नाम से पत्रकार है, उसके चरित्र में पत्रकारिता नहीं है। समझ लें, कि पत्रकारिता रोजगार के लिए नहीं हो सकती। यह तो एक मिशन है, आंदोलन है, जुनून है। जहां पत्रकारिता के बदले आय की उम्मीद करना भी पत्रकारिता को कमजोर करना है। सवाल उठता है, तो पत्रकार अपना पेट कैसे पाले? क्या वह जीना छोड़ दें? क्या वह परिवार की ज़िम्मेदारी भूल जाएं? तो जवाब है नहीं, बिल्कुल नहीं। पत्रकार को जमकर पैसा कमाना चाहिए, लेकिन यह कमाई ब्लैकमेलिंग से ना हो। यह कमाई ख़बर बेचकर ना हो। यह कमाई अनैतिक संसाधनों से ना हो। मेरा मानना है कि पत्रकार अपने संबंधों का उपयोग कर पत्रकारिता के साथ साथ कोई व्यापार भी करे तो वह आर्थिक रूप से संपन्न होने के साथ साथ पत्रकारिता के धर्म का निर्वहन पूरी ईमानदारी से कर पाएगा। पत्रकारिता उसके मिशन को पूरा करेगी, व्यापार उसके जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। हां, अपने संस्थान को चलाने के लिए विज्ञापनों को सहारा लिया जा सकता है। लेकिन जिसे आवश्यकता हो उसी के विज्ञापन लगाए जाएं।
पत्रकारिता पर चल रही बातों के बीच यह भी जान लिया जाए कि स्वयं को पत्रकार कहने वाले अधिकतर व्यक्ति पत्रकारिता ही नहीं जानते हैं। उनके पास परिपक्व सूचना नहीं। उनके पास भाषा नहीं। उनके पास दृष्टि नहीं। यह सब इसलिए नहीं कि उनके चरित्र में पत्रकारिता नहीं। वह पत्रकार बनते हैं, महज धौंस दिखाने के लिए। सम्मान पाने के लिए। पॉवर पाने के लिए। मित्रों! पत्रकारिता में चार चीज़ें होती है, अगर वह नहीं तो कोई व्यक्ति पत्रकार नहीं हो सकता। पहला, जुनून। दूसरी, परिपक्व सूचना। तीसरी, भाषा। चौथी दृष्टि। ये चार चीज़ें ही एक पत्रकार को वास्तविक पत्रकार बनाती है। यही वह शक्तियां हैं जो सम्मान दिलवाती है। समाज का कड़वा सच यह है कि वह प्रेस कार्ड दिखाकर टोल टैक्स व ट्रैफिक चालान बचाने जैसे तुच्छ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए खुद को पत्रकार कहलवाना पसंद करता है।
हमें यह समझना होगा कि पत्रकारिता स्वयं के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए है। वह समाज जो पीड़ित है। वह समाज जो स्थान विशेष में घट रही और घटने वाली घटनाओं को जानने का उत्सुक है। इन्हीं सूचनाओं और मुद्दों के लिए पत्रकारिता है। पत्रकारिता अन्याय के खिलाफ उठने वाली निष्पक्ष आवाज़ है। बुराईयों के खिलाफ चलने वाली कलम है। महज, व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए पत्रकारिता ना करें, फिर तो व्यापार करें, सब मिल जाएगा। पत्रकारिता तो आपसे त्याग मांगेगी, खून पसीना मांगेगी। बलिदान मांगेगी। पत्रकारिता करें तो पत्रकारिता ही करें, यह समाज आपके भरोसे है।
-रोशन बाफना
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