18 October 2021 10:27 PM

ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। जैन धर्म में संथारा संलेखना महत्वपूर्ण प्रथा है। संथारा पूर्वक मृत्यु को पंडित मरण माना जाता है। हाल ही में तेरापंथ धर्मसंघ की सुश्राविका गंगाशहर निवासी सिकंदराबाद प्रवासी पुष्पा देवी पत्नी जयचन्द लाल मालू ने संथारा संलेखना स्वीकार की थी। 20वें दिन उनका संथारा संपन्न हुआ। सोमवार को गंगाशहर के शांति निकेतन में उनकी स्मृति सभा तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित की गई।
सभा को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री पावनप्रभा ने कहा कि खिलना - मुरझाना, उदय -अस्त, जीवन - मरण सब प्रकृति जन्य तथा अवश्यम्भावी है। जीवन में त्याग, तपस्या, संयम करके व्यक्ति कई जन्मों के लिए पुण्य कर्मों का संचय कर लेता है। उन्होंने कहा कि संयम धारण करके जो व्यक्ति सिंह वृति के साथ मृत्यु को आत्मसात करता है उसका मरण भी उत्सव बन जाता है। पुष्पा देवी मालू ने अर्थ का मोह, परिवार का मोह व शरीर का भी मोह त्याग कर संथारा से मृत्यु का वरण करके तेरापंथ धर्म संघ व गंगाशहर का गौरव बढ़ाया है।
गंगाशहर निवासी पुष्पा देवी मालू पत्नी जयचंद लाल मालू का संथारा 20 दिनों तक चला। पुष्पा देवी ने शारीरिक अस्वस्थता की वजह से जैन परंपरा के अनुसार संथारा प्रत्याख्यान कर लिया था। संथारा प्रत्याख्यान आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञा से साध्वी श्री मधुस्मिता ने करवाया।
तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमर चन्द सोनी, तेरापंथ महिला मंडल से संजू लालाणी, तेरापंथ युवक परिषद् से अरुण नाहटा, परिवार की तरफ से मनीष बाफना, हेमा मालू व प्राची मालू ने भी भावांजलि देते हुए उनकी आत्मा की आध्यात्मिक उन्नति की मंगल कामना की।
मूल रूप से पुरानी लाइन बाबा रामदेव रोड़ गंगाशहर निवासी 70 वर्षीय पुष्पा देवी पत्नी जयचन्द लाल पुत्रवधू तोलाराम मालू वर्तमान में सिकंदराबाद (हैदराबाद) निवास कर रहीं थीं। पिछले कुछ समय से कैंसर से पीड़ित थीं। पुष्पा देवी के संथारा काल के दौरान पति जयचंद लाल मालू, पुत्र पंकज मालू, पुत्रियां कनक व चांद व पुत्रवधू सहित समस्त परिवार व समाज ने व्याख्यान श्रवण, सामायिक, जप व तप से धर्माराधना का क्रम चलाया था।
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