16 October 2024 06:03 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की विशेष रिपोर्ट) बीकानेर शहर के युवा नशे की चपेट में आकर तबाही के अंतिम चरण की ओर हैं। एमडी, स्मैक, अफीम, गांजा, नशे की गोलियों सहित तरह तरह के खतरनाक मादक पदार्थों की तस्करी से तस्करों व इनके समर्थकों के घरों का चूल्हा तो जल रहा है मगर शहर की एक बड़ी युवा आबादी अपने परिवार को दो वक्त की सुख की रोटी भी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। नशा इन युवाओं का यौवन ही नहीं छीन रहा बल्कि व्यक्तित्व और अस्तित्व भी खत्म कर रहा है। कुछ पुलिस की वजह से तो कुछ कानून की खामियों की वजह से इन तस्करों का हौसला बढ़ा हुआ है। शहर का हर दूसरा युवा नशे की चपेट में हैं और इन तस्करों को रोकने में पुलिस नाकाम बनी हुई है। हालांकि खानापूर्ति वाली कार्रवाई जरूर की जाती है। पुलिस तस्करों से इतना भी माल नहीं पकड़ पा रही कि जिससे उस तस्कर को 2-4 माह तक सलाखों के पीछे भी रखा जा सके।
अब सवाल यह है कि आख़िर हर दिन इतनी बड़ी मात्रा में नशा आ कहां से रहा है जिससे शहर की आधी युवा आबादी नशा कर सके। हमारी तहकीकात में पता चला है कि वैसे तो शहर का कोई भी थाना इलाका नशा तस्करों से मुक्त नहीं है लेकिन बीकानेर के तीन मोहल्ले ऐसे हैं जो बाकी पूरे शहर को ही तस्करी के मामले में पीछे छोड़ देते हैं।
नयाशहर थाना क्षेत्र का विश्नोई बास व भाटों का बास तथा सदर थाना इलाके का भुट्टों का बास नशे का बड़ा गढ़ है। हमने जब तहकीकात की तो पाया कि विश्नोई बास के 16-20 घरों में बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ पड़े हैं। यहां से हर दिन हर वक्त तस्करी होती है। एमडी, अफीम, स्मैक, गांजा, गांजे वाली सिगरेट से लेकर कई तरह के खतरनाक नशीले पदार्थों की उपलब्धता यहां रहती है। इन घरों से छोटे मोटे तस्करों से लेकर ग्राहकों को सबको माल बेचा जाता है। कोई खिड़की से, कोई घर के आगे से तो घर के पास के चौराहों व खांचों से मादक पदार्थ बेचता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बास में कार्रवाई करने से पुलिस भी डरती है। वजह, यह है कि यहां पुलिस पर हमला होने की आशंका रहती है। पूर्व में हुई कई कार्रवाइयों के दौरान महिलाएं तक उग्र होती देखी गई। ऐसे में सवाल यह है कि आख़िर अब जनता की नैया पार करेगा कौन?
बता दें कि भाटों के बास में भी करीब 10-12 तस्कर सक्रिय हैं। यहां भी यही हालात हैं। वहीं सदर थाना क्षेत्र के भाटों के बास में भी यही हालात हैं। भाटों के बास के तस्करों व उनके गुर्गों ने सप्लाई के तरीके बदल लिए हैं। ठिकाने भी बदल लिए हैं।
अगर इन तीन ठिकानों के तस्करों का जड़ से सफाया हो जाए तो नशा माफिया की कमर टूट जाएगी। अब देखना यह है कि बीकानेर पुलिस के टाइगर कावेंद्र सिंह सागर इस बड़ी समस्या से जनता को कैसे निजात दिलाते हैं। लगे हाथ एसपी साहब को यह भी बताते चलें कि इन तस्करों की कमर तोड़नी है तो पुरानी टीमों को रेस्ट दे देना चाहिए। वहीं आगे भी टीमें बदलती रहनी चाहिए।
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