29 June 2020 02:19 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पीबीएम के करीब सैकड़ों अटेंडेंट बकाया सैलरी के विरोध में हड़ताल पर हैं। इनमें से चालीस कर्मचारियों की ड्यूटी सुपर स्पेशलिटी कोविड सेंटर में हैं। इस वजह से पीबीएम सहित कोविड सेंटर की व्यवस्थाएं चौपट हो गई है। हड़ताल के बाद बीती रात कोविड सेंटर में मरीजों ने तोड़फोड़ की बताते हैं। सूत्रों के मुताबिक अटेंडेंट के अभाव में मरीजों को भोजन नहीं मिला, जिस पर गुस्साए मरीजों ने हंगामा किया, यहां तक कि एक शीशा तोड़ने की भी ख़बर है। पीड़ितों के अनुसार जनवरी माह से अब तक की सैलरी में बड़ा गड़बड़झाला चल रहा है। इतने माह से सैलरी ना मिलने के कारण इन कर्मचारियों के परिवार संकट में आ चुके हैं। वहीं कोविड सेंटर में लगे चालीस कर्मचारियों को तीन माह से सैलरी नहीं मिली। प्रिंसीपल, अधीक्षक से लेकर कलेक्टर तक सबको ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। राजवीर के अनुसार सब जगह जाकर थक गए उन्होंने दस दिन पहले कलेक्टर कुमार गौतम को ज्ञापन देते हुए समस्या से अवगत करवाया था, जिस पर कलेक्टर ने दो-तीन के अंदर सैलरी दिलवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद भी लगातार प्रयास जारी रहे, लेकिन बात नहीं बनीं तो रविवार से हड़ताल पर गए। वहीं कोविड सेंटर में काम कर रहे किशन ने बताया कि उनके ठेकेदार ने उनको पूरी तरह से उलझा दिया है। तीन माह से सैलरी नहीं दी। वहीं ड्यूटी के साथ माहेश्वरी धर्मशाला में क्वॉरन्टाइन होना पड़ता है लेकिन वहां कूलर तक नहीं है। आरोप है कि खुश्बू एंटरप्राइजेज के माफिक ने उन्हें तीन माह बाद संविदा पर लगाने का वादा भी किया था। लेकिन अब संविदा पर नहीं लगा रहा। आज सुबह जब ये कर्मचारी पीबीएम अधीक्षक से मिलने गए, तो अधीक्षक ने साफ तौर पर मामले से पल्ला झाड़ दिया। आरोप है कि अधीक्षक ने कर्मचारियों को कहा कि आप जानों और आपका ठेकेदार जानें। बात यहीं नहीं रुकी, अधीक्षक के एक कर्मचारी ने मयंक नाम के एक कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया बताते हैं। बता दें कि ठेकेदार व पीबीएम प्रशासन की वजह से करीब डेढ़ सौ परिवार आर्थिक संकट में हैं तो साथ ही करीब एक सौ बीस कोरोना मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन कर्मचारियों द्वारा कलेक्टर कुमार पाल गौतम पर भी साफ तौर पर आरोप लगाए जा रहे हैं। इनका कहना है कि अगर कलेक्टर दस दिन पहले दिए आश्वासन को पूरा कर देते तो उन्हें हड़ताल पर नहीं जाना पड़ता। अब देखना यह है कि कलेक्टर क्या कुछ एक्शन ले पाते हैं। बार बार चेतावनी देने के बाद भी समाधान न होने पर हड़ताल पर गए ये कर्मचारी किसी भी कीमत पर ड्यूटी पर लौटने को तैयार नहीं है। जबकि कोविड सेंटर के एक सौ बीस मरीज़ इन कर्मचारियों की असंवेदनहीनता की वजह से परेशान हो रहे हैं। ऐसे में अब हालात नासाज बन चुके हैं, वहीं प्रशासन आश्वासन देने के सिवाय कुछ नहीं कर रहा।
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