26 May 2020 03:29 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। फर्जी दस्तावेजों से फर्जी खाते खोलकर बड़ा घोटाला करने के मामले में गंगाशहर क्षेत्र के मास्टरमाइंड सहित अन्य को गिरफ्तार न करने का मुद्दा एक बार फिर तूल पकड़ चुका है। मामला गंगाशहर की आर एस क्रेडिट से जुड़ा है, जिसके खिलाफ 2018 में तीन मुकदमें दर्ज हुए थे। मामला फर्जी दस्तावेजों से फर्जी खाते खोलकर शेयर मार्केट में काम करने का था। इसमें दिसंबर 2019 में सीआईडी सीबी ने जांच करते हुए तीनों मुकदमों में गंगाशहर के मनीष छाजेड़ को मुख्य आरोपी तथा विनोद कुमार, राजेश भाटी व राजेंद्र ओझा को सह अभियुक्त माना। वहीं आर एस क्रेडिट को क्लीन चिट दे दी। लेकिन इस मामले में आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई व पत्रावली दबा दी गई है। मामले में एक परिवादी सुनील सोनी ने बताया कि उसके व उसकी पत्नी के फर्जी खाते खोले गए थे। दोनों खातों में इनकम टैक्स ने करीब डेढ़ करोड़ की वसूली निकाली। इनकम टैक्स उसे वसूली के लिए परेशान कर रहा है, इधर मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सोनी ने कहा कि वह मर नहीं रहा लेकिन जीना भी मुश्किल हो गया है। मामले की जांच करने वाले सीआईडी सीबी एएसपी प्यारेलाल शिवराण के अनुसार उन्होंने दिसंबर में ही पत्रावली जयपुर भेज दी थी, उसी समय बीकानेर कोटगेट पुलिस के पास आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु फाइल भेजी गई। लेकिन आरोपी मनीष छाजेड़, राजेंद्र ओझा आदि फरार हो गए थे। इसके कुछ दिनों बाद पत्रावली वापिस जयपुर मंगवाई गई।
ये है पूरा मामला----
एएसपी प्यारेलाल के अनुसार सुनील सोनी, उसकी पत्नी व जुगल भारती के घर 2018 में इनकम टैक्स का नोटिस आया, जिसमें सुनील के खाते में 77लाख, उसकी पत्नी के खाते में 69 लाख व जुगल भारती के खाते में 11 लाख की वसूली निकाली गई। इस पर परिवादियों ने कोटगेट थाने में जानकारी जुटाकर आर एस क्रेडिट व उसके प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमें दर्ज करवाए। तीनों मुकदमों की जांच कोटगेट थाने के एएसआई चैनदान को दी गई। लेकिन तफ्तीश में दोषी मनीष छाजेड़ पाया गया। इस जांच के बाद मनीष छाजेड़ ने गिरफ्तारी नहीं दी, बल्कि अन्य अधिकारी से जांच करवाने की अपील की। इसके बाद कोटगेट थाने के तत्कालीन थानाधिकारी वेदप्रकाश लखोटिया ने मामले की जांच की। लखोटिया ने अपनी जांच में आर एस क्रेडिट को निर्दोष मानते हुए मनीष छाजेड़ व बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारी विनोद कुमार को दोषी माना। यहां भी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई। अब आरोपी मामले की जांच सीआईडी सीबी में ले गए। प्यारेलाल ने बताया कि उन्होंने चार माह तक दिन रात बारीकी से अनुसंधान किया। जांच में पता चला कि मनीष छाजेड़ इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड है। आरोपी द्वारा 2009-10 से ही राशन कार्ड व अन्य दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर फर्जी खाते खुलवाए गये। प्यारेलाल ने बताया कि आरोपी दस्तावेजों को स्कैन कर उसकी कॉपी पर नाम पते में बदलाव कर एक नयी कॉपी तैयार करता, इससे नया पेन कार्ड ऑनलाइन बनवाता। फिर यह उससे बैंक अकाउंट खोलकर फर्जीवाड़ा करता। प्यारेलाल के अनुसार बैंक मैनेजर व कर्मचारियों से आरोपी के अच्छे संबंध थे, इसी विश्वास में आरोपी के कहने पर वे लोग अकाउंट खोल देते थे। इस पूरे गड़बड़झाले के पीछे मनीष छाजेड़ का उद्देश्य बड़ी ब्रोकरेज कमाना व इनकम टैक्स बचाना था। प्यारेलाल ने बताया कि जो लोग कच्चे में बिना अकाउंट काम करना चाहते हैं, उनसे आरोपी बढ़ा-चढ़ाकर ब्रोकरेज लेता, और फर्जी खातों में काम करवा देता। इस तरह उसका हौसला बढ़ता गया। इसके बाद आरोपी राशनकार्ड में छेड़छाड़ से और आगे निकल गया। प्यारेलाल के अनुसार आरोपी ने करीब दस ऐसे राशनकार्ड बनाए हैं, जिनमें दिए गए नाम पते का इंसान इस दुनिया में है ही नहीं। यानी ऐसे नाम पते वाले लोगों का कहीं पैदा होना भी नहीं पाया गया। इनमें फोटो किसी और का लगा दिया जाता। वहीं राजेंद्र ओझा मुख्य आरोपी का मुनीम था, जो दस हजार रूपए महीने में उसके यहां नौकरी करता था। वहीं राजेश भाटी आईसीआईसीआई बैंक का कर्मचारी था। एएसपी प्यारेलाल ने बताया कि इन तीन मुकदमों के अलावा करीब बीस मामलों का विवरण जांच के बाद पत्रावली में दर्ज किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ दस बीस लोगों के नाम से ही नहीं हुआ है, बल्कि ऐसे सौ लोग हो सकते हैं जिनके फर्जी खाते खोलकर मनीष छाजेड़ ने काम किया है।
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