28 June 2020 06:21 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। एससी-एसटी एक्ट व दुष्कर्म संबंधी कानूनों के दुरुपयोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि वास्तविक पीड़िताओं को न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में एक महिला सफाईकर्मी ने आर्मोर सिक्यूरिटी कंपनी के ठेकेदार विभोर गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह कंपनी पीबीएम में सफाई की ठेकेदार कंपनी है। महिला सफाईकर्मी ने सदर थाने में विभोर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। आरोप है कि विभोर द्वारा इस सफाईकर्मी को शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया जाता था। लेकिन परिवादिया ने संबंध नहीं बनाए तो आरोपी ने उसकी तनख्वाह रोक ली। लेकिन हमारी पड़ताल में कुछ और ही बातें सामने आई है। हालांकि पुलिस मामले की जांच गहनता से कर रही है तथा जल्द ही सच उजागर करेगी। जानकारी मिली है कि इस महिला सफाईकर्मी व इसके पति ने कंपनी के अंडर में संविदा पर मार्च माह के अंत में आठ दिन तक काम किया था। इसके बाद इन्होंने रिजाइन दे दिया। विभोर के अनुसार इनकी कोरोना ड्यूटी लगाई गई थी, जिसका नियम था कि ये रात को घर नहीं जा सकते थे। बल्कि यहीं क्वॉरन्टाइन रहना था। इस पर असहमति की वजह से इन्होंने रिजाइन दे दिया तथा पन्द्रह हज़ार प्रतिमाह की दर से आठ दिनों का वेतन प्राप्त कर लिया। वहीं सरकार द्वारा सफाई कर्मचारियों के लिए घोषित राशि का चैक आने पर दे देने का आश्वासन दिया गया। दरअसल, सरकार ने कोरोना ड्यूटी कर रहे सफाईकर्मियों के लिए ढ़ाई हजार रूपए की राशि घोषित कर रखी है। इसके अनुसार दोनों पति-पत्नी के पांच हज़ार सरकार द्वारा प्राप्त होने पर देने का कहा गया। लेकिन अब तीन माह बाद ये दोनों विभोर पर पांच हज़ार देने का दबाव बनाने लगे। इसी बात को लेकर दोनों पति-पत्नी दो अन्य व्यक्तियों के साथ विभोर के ऑफिस आए और गाली गलौच करने लगे। इस दौरान सफाईकर्मी आकाश ने विभोर का गला पकड़ लिया, बीच-बचाव में कंपनी की महिला एकाउंटेंट आई तो आकाश ने विभोर को महिलाकर्मी का गला पकड़ लिया। इसके बाद विभोर व महिलाकर्मी ने सदर थाने में मारपीट, गाली-गलौच व लज्जा भंग का मुकदमा दर्ज करवाया। इसी मुकदमें के बाद महिला सफाईकर्मी ने विभोर पर यह गंभीर आरोप लगाए हैं। विभोर के अनुसार सरकार द्वारा घोषित राशि चुकाने का दायित्व कंपनी का नहीं बनता वहीं वेतन सारा दिया जा चुका है। वहीं कंपनी के एडवोकेट अनिल सोनी ने कहा है कि सफाईकर्मी ने उनके उनके क्लाइंट पर क्रॉस व निराधार मुकदमा दर्ज करवाया है। अनिल सोनी ने बताया कि मामला वेतन का नहीं बल्कि सरकार द्वारा घोषित विशेष राशि का है जो सरकार द्वारा ही दी जाएगी। इसमें कंपनी का कोई हस्तक्षेप नहीं है।
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