24 August 2020 10:16 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। 'सूचना का अधिकार ' अधिनियम 2005 की धज्जियां उड़ाने का बड़ा मामला सामने आया है। मामले में एसपी ऑफिस के लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी को राजस्थान राज्य सूचना आयोग द्वारा नोटिस भी जारी किया जा चुका है। आरोप है कि इसके बावजूद लोक सूचना अधिकारी ने मांगी गई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई बल्कि आयोग को गुमराह करने की कोशिश की। ऐसे में लोक सूचना अधिकारी पर आयोग की गाज गिर सकती है। मामला 2015 में एसपी ऑफिस को दिए एक परिवाद से जुड़ा है। जेठाराम सुथार नाम के व्यक्ति ने 2015 में एसपी बीकानेर को एक परिवाद दिया था। लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई। परिवादी के अनुसार इसके बाद लगातार गुहार लगाई गई मगर कार्रवाई नहीं हुई। तब हाल ही 20 जनवरी 2020 को परिवादी द्वारा सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए एसपी ऑफिस से परिवाद पर की गई कार्रवाई के संबंध में सूचना मांगी गई। सूचना सात बिंदुओं पर मांगी गई थी। लेकिन 11 मार्च 2020 तक परिवादी को सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई। इसके बाद 12 मार्च 2020 को प्रथम अपील की गई। इसके बावजूद एसपी ऑफिस से 6 जून तक कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई। यहां तक कि कोई जवाब भी नहीं दिया गया। ऐसे में परिवादी ने 6 जून को राजस्थान राज्य सूचना आयोग को अपील कर दी। जिस पर आयोग ने अपील स्वीकार करते हुए एसपी ऑफिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। बता दें कि एसपी ऑफिस के लोक सूचना अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं तथा अपीलीय अधिकारी स्वयं एसपी होते हैं। इस पर लोक सूचना अधिकारी ने आयोग को दो पेज़ का जवाब भेजते हुए लिखा कि अपीलार्थी का कथन असत्य है, पूर्व में मांगी गई सूचना भिजवाई जा चुकी है लेकिन सूचना के अधिकार की मूल भावना को ध्यान में रखकर पुन: 29 पेज़ की सूचना निशुल्क व दो पेज़ का जवाब अपीलार्थी को भिजवाया जा रहा है। इसके बाद परिवादी के पास डाक आई, लेकिन लिफाफे में कुल 31 पेज़ की जगह मात्र दो पेज़ थे। मामले में परिवादी के अधिवक्ता अनिल सोनी का कहना है कि अगर 31 पेज़ भेजे जाते तो लिफाफे का वजन पचास ग्राम या उससे अधिक होता तथा डाक शुल्क करीब 45 से 64 रुपए तक लगता। लेकिन एसपी ऑफिस से भेजे गए इस लिफाफे का वजन 20 ग्राम व डाक शुल्क 22 रूपए लगा हुआ है। सोनी ने आरोप लगाया है कि एसपी ऑफिस द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम का हनन किया जा रहा है। ऐसे में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सवाल यह है कि आखिर लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना क्यों नहीं दी जा रही। 2015 के परिवाद पर क्या कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। बता दें कि प्रथम बार सूचना मांगने से अपील तक बीकानेर के एसपी प्रदीप मोहन शर्मा थे। वहीं अब मामला राजस्थान राज्य सूचना आयोग तक पहुंच चुका है और जवाबदेही नये एसपी की बनती दिख रही है।
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