09 December 2020 12:04 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पिता को खो चुके पुत्र ने मां की जिंदगी बचाने वाले ईश्वर स्वरूप चिकित्सकों व पीबीएम प्रशासन का आभार जताया है। कोरोना ने बहुत सारे परिवारों की खुशियां छीनी, मगर अधिकतर परिवारों ने इस बीमारी पर विजय भी पाई। ऐसे परिवार पीबीएम की चिकित्सकीय टीम को ईश्वर से कम नहीं मानते। रत्ताणी व्यास चौक निवासी दीपक हर्ष की ही कहानी सुनें तो इस छूत की बीमारी से बेख़ौफ़ मरीजों की सेवा में खुद की जान जोखिम में डालने वाले चिकित्सकों की महानता सामने आती है। दीपक कहते हैं कि कुछ दिनों पूर्व उनकी मम्मी इंद्रा देवी, बहन व बेटा कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उन्हें होम क्वॉरन्टाइन करते हुए ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था की गई। लेकिन अचानक मामला बिगड़ा, उनकी मम्मी की आवाज़ बंद होने लगी। ऑक्सीजन का स्तर गिरकर 75 तक पहुंच गया था। दीपक ने 108 एंबुलेंस को फोन मिलाया, अगले पंद्रह मिनट में ही एंबुलेंस पहुंच गई। मरीज़ को कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके अगले ही दिन दीपक को भी टायफाइड हो गया। दीपक की चिंताएं बढ़ गई। चिंता इसलिए भी अधिक थी कि दीपक अपने पिता को पहले ही खो चुके हैं, ऐसे में अब मम्मी की हालत उन्हें डरा रही थी।
लेकिन कुछ ही दिनों में मम्मी स्वस्थ होकर घर लौटीं। दीपक बताते हैं कि कोविड सेंटर की टीम ने उनकी मम्मी का ख्याल अपनी मां की तरह रखा। उनकी मम्मी को प्लाज्मा चढ़ाया गया। डॉक्टर नियमित देखभाल करते थे। इस दौरान पास के एक पॉजिटिव की मौत हुई, तो मम्मी डर गई थी। ऐसे समय में दो महिला चिकित्सक साढ़े तीन घंटे तक मम्मी के पास बैठीं। इतना ही नहीं अस्पताल का खाना जब अच्छा नहीं लगा तो एक महिला चिकित्सक ने अपना टिफिन मम्मी को खिलाया। दीपक कहते हैं कि इतना अपनापन वाकई अद्भुत है। वे हमेशा जिला प्रशासन व चिकित्सकीय टीम के ऋणी रहेंगे। अगर चिकित्सकीय टीम संवेदनशील नहीं होती तो उनके परिवार के तीन सदस्य तो जीते जी मर जाते।
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