28 September 2025 03:47 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया हो लेकिन राजस्थान सरकार की लापरवाही की वजह से स्वदेशी अपनाओ अभियान की कमर टूटने वाली है। मामला खादी से जुड़ा है। दरअसल, राजस्थान सरकार पिछले तीन साल से खादी संस्थाओं को रिबेट राशि का भुगतान नहीं कर रही है। इस वजह से राजस्थान की खादी संस्थाएं इन दिनों भारी आर्थिक संकट से जूझ रही है। खादी मिशन के राष्ट्रीय सह-संयोजक जवाहर लाल सेठिया के अनुसार राजस्थान सरकार ने राजस्थान की खादी संस्थाओं के करीब सौ करोड़ रूपए अटका रखे हैं। इस वजह से खादी संस्थाओं ने इस बार राजस्थान सरकार के 35 प्रतिशत रिबेट का बहिष्कार कर दिया है। राजस्थान की प्रमाणित खादी एवं ग्रामोद्योग संस्थाओं के मध्यवर्ती संगठन राजस्थान खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ, बजाज नगर, जयपुर ने अध्यक्ष इन्दुभूषण गोईल व मंत्री अनिल कुमार शर्मा के नेतृत्व में हुई बैठक में यह बहिष्कार किया।सेठिया के अनुसार वर्ष 2022-23 व 2023-24 की तो ऑडिट भी हो चुकी, इसके बावजूद बकाया रिबेट राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा। जबकि वर्ष 2024-25 की ऑडिट ही नहीं करवाई गई है। इन तीनों वर्षों में ग्राहकों को जो छूट दी गई वह खादी संस्थाओं की जेब से कटी। ऐसे में खादी संस्थाएं आर्थिक संकट में आ गई।
-गांधी जयंती से 30 जनवरी तक मिलती है छूट: जवाहर सेठिया के अनुसार 2 अक्टूबर को गांधी जयंती से 30 जनवरी तक खादी खूब बिकती है। इसकी वजह है 50 प्रतिशत की छूट। दरअसल, तीन वर्ष पहले राजस्थान सरकार ने खादी को बढ़ावा देने के लिए खादी पर 35 प्रतिशत रिबेट शुरू किया। इससे रेगुलर 15 प्रतिशत तक की छूट में मिलने वाली खादी ग्राहकों को 50 प्रतिशत छूट में मिलने लगी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
-ग्राहक को लगेगा चूना, घटेगी बिक्री, फ्लॉप होगा स्वदेशी अभियान: तीन साल का रिबेट ना मिलने से नाराज़ खादी संस्थाओं ने इस वर्ष राज्य सरकार से मिलने वाली 35 प्रतिशत रिबेट का बहिष्कार किया है। ऐसे में ग्राहकों को अब 2 अक्टूबर से 30 जनवरी तक खादी 50 प्रतिशत छूट पर नहीं मिलेगी।
खादी मिशन के राष्ट्रीय सह संयोजक जवाहर सेठिया ने बताया कि अबकी बार ग्राहकों को 25 प्रतिशत छूट ही दी जाएगी। यह छूट 15 प्रतिशत एमएमडीए व 10 प्रतिशत विपणन विकास से मिलेगी। ऐसे में ग्राहकों को तो 25 प्रतिशत का नुक़सान होगा ही, साथ ही साथ खादी संस्थाओं को भी 10 प्रतिशत का अतिरिक्त नुकसान होगा। इसके अतिरिक्त बिक्री घटने से जो नुकसान होगा, वह अलग है।
-उत्पादन की गति थमी: रिबेट राशि प्राप्त ना होने की वजह से अधिकतर खादी संस्थाओं में उत्पादन रुक सा गया है। संस्थाएं कच्चा माल तक नहीं खरीद पा रही। ऐसे में भारत की शान खादी संकट में है।
-संघ ने रखी ये मांग: संघ ने सरकार से कुछ मांगे की है। संघ की मांग है कि पहले दो वर्षों के रिबेट का तुरन्त भुगतान किया जाए। वहीं वर्ष 2024-25 की रिबेट ऑडिट एकल प्रक्रिया से सरलीकरण करते हुए करवाई जाए। वहीं वर्ष 2024-25 की रिबेट ऑडिट होने तक खादी संस्थाओं को 80 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान किया जाए।
अब देखना यह है कि भारत की शान व स्वदेशी मिशन के मुख्य आधार खादी को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाया जाता है या नहीं।
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