14 January 2024 01:04 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव के तहत करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई अव्यवस्थाओं व धरने से कार्यक्रम का जायका बिगड़ गया। शनिवार शाम आयोजित कार्यक्रम में कवरेज कर रहे मीडिया व सोशल मीडिया कर्मियों को भीड़ का हिस्सा बताकर मंच के पास से हटाने की कोशिश हुई। इसके लिए कार्यक्रम भी रोका गया। इससे कुछ मीडियाकर्मी नाराज़ हुए। पर्यटन विभाग की तैयारियों में चूक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भी दिखी। इस दौरान मंच पर लगी एलईडी स्क्रीन का एक हिस्सा मंच के पीछे गिर गया। मंच के पीछे मौजूद कलाकार हताहत हुए। एक युवती के सिर पर एलईडी गिरी। भारी-भरकम एलईडी गिरने की वजह से उसके सिर, कान व कंधे पर अंदरूनी चोटें लगी। असंवेदनशीलता की हद तब हुई जब उसे संभालने की बजाय पर्यटन विभाग के कर्मचारी कार्यक्रम का आनंद लेने चले गए। चिकित्सक की व्यवस्था भी नहीं की जा सकी। आखिर 20 मिनट बाद पहुंचे परिजन युवती को अस्पताल लेकर गए।वहीं मिस्टर बीकाणा, मिसेज मरवण, मिस मरवण व ढ़ोला-मरवण प्रतियोगिता भी विवादों के घेरे में रही। निर्णय को लेकर पक्षपात के आरोप लगे। हालांकि निर्णायकों में एक ही स्थानीय निर्णायक था, शेष विदेशी शैलानी थे। 10-12 प्रतिभागियों ने निर्णय से असहमति जताते हुए मंच पर धरना लगा दिया। इनमें किसी ने मिस मरवण के विजेताओं तो किसी ने मिस्टर बीकाणा, मिसेज मरवण व ढ़ोला-मरवण के विजेताओं को लेकर कमोबेश विरोध जताया। इसके अतिरिक्त शुक्रवार को धरणीधर में आयोजित साफा प्रतियोगिता में पक्षपात के आरोप लगाए गए। कहा कि जिनको जिताना था, उन्हें अच्छे साफे दिए गए, शेष को खराब साफे दिए। मिस मरवण की प्रथम विजेता को लेकर पहले से सैटिंग का आरोप लगा। द्वितीय विजेता पर रूल तोड़ने का आरोप लगा। मिसेज मरवण की विजेता पर भी रूल तोड़ने का आरोप लगा। कहा कि प्रैक्टिस में नहीं आई फिर भी विजेता बना दिया। मिस्टर बीकाणा के एक विजेता पर भी रूल तोड़ने का आरोप लगा। ऐसा ही आरोप ढ़ोला-मरवण के विजेताओं पर लगा। किसी ने तलवार का विरोध किया तो किसी ने प्रोप का। हालांकि विजेताओं ने कहा कि प्रोप जैसा कुछ इस्तेमाल ही नहीं किया गया। क्रिएटिविटी दिखाई गई थी। बीकानेर में हुई ग़लत प्रथा की शुरुआत, ऐसे तो आयोजक ही हट जाएंगे पीछे:- ऊंट उत्सव में हुए धरने ने बीकानेर की परंपरा को तोड़ दिया है। विरोध जताना अधिकार है, लेकिन धरना उचित नहीं। ऊंट उत्सव में विदेशी सैलानी आते हैं। ख़बरें भी विदेशों तक पहुंचती है। ऐसे में हम धरना प्रदर्शन कर विरोध जताते हैं तो हम अपने ही बीकानेर की सभ्यता-संस्कृति के साथ खिलवाड़ करते हैं। अगर ऐसे ही चला तो प्रशासन हो या निजी आयोजक, ऐसे आयोजन करने से डरेंगे। आयोजकों को चाहिए कि वें लगातार सुधार की ओर बढ़ें। तो वहीं प्रतिभागियों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह मंच का सम्मान करें। हालांकि चुनिंदा प्रतिभागियों ने ही धरना किया लेकिन बीकानेर की सभ्यता के लिए धरने की परंपरा हानिकारक है। अब होगा क्या? :- कुछ प्रतिभागियों के विरोध की वजह से प्रशासन ऐसी प्रतियोगिताओं को बंद करने का निर्णय लेने पर भी मजबूर हो सकता है। बीती रात हुए धरने से पर्यटन विभाग को वापिस करणी सिंह स्टेडियम लौटना पड़ा। जबकि रविवार को भी ऊंट उत्सव जारी है। पक्षपात के आरोप भी लगे। जबकि पर्यटन विभाग ने कहा कि सिर्फ एक निर्णायक ही स्थानीय था, शेष सभी विदेशी सैलानी थे। कोई निर्णायक किसी प्रतिभागी को जानता नहीं था। वहीं प्रतिभागियों को भी टैग नंबर दिए गए थे। प्रतियोगिता के समय किसी का नाम नहीं पुकारा गया था।
RELATED ARTICLES
11 September 2025 07:58 PM
18 November 2021 01:22 PM