07 August 2021 02:53 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पिता द्वारा बच्चे का अपहरण कर जान से मारने की धमकी देकर परित्यक्ता पत्नी से अप्राकृतिक दुष्कर्म करने व भरण पोषण के मामले में बलपूर्वक राजीनामा करवाने का मामला सामने आया है। घटना पर कोर्ट के आदेश से सदर पुलिस ने आरोपी पति व उसके पिता के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 364-ए, 377 व 120-बी आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया।
परिवादिया के अधिवक्ता एडवोकेट वसीम मकसूद व एडवोकेट ललित घारू के अनुसार परिवादिया का विवाह 15 फरवरी 2016 को बैंगलोर की एक बड़ी सोफ्टवेयर कंपनी में सोफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत बीकानेर निवासी के साथ हुआ। दोनों के दो बच्चे भी हुए। कुछ वर्ष बाद आरोपी पति परिवादिया को मारने पीटने लगा। 2016 में आरोपी ने पत्नी को घर से निकालकर उसका परित्याग कर दिया। इस पर परिवादिया ने पारिवारिक न्यायालय में भरण पोषण का मुकदमा दर्ज करवाया। 27 जनवरी 2021 को आरोपी पति व उसके पिता ने बच्चे से मिलने के बहाने परिवादिया व उसके बेटे को घर बुलाया। आरोप है कि यहां आरोपी ससुर ने उसके बच्चे को गोद में उठाकर कब्जे में ले लिया। भरण पोषण के मुकदमें में राजीनामें के लिए दबाव बनाया। धमकी दी कि अगर राजीनामा नहीं किया तो उसके बच्चे को जान से मार देंगे। इसी समय आरोपी पति ने परिवादिया से अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया। इसी दिन दोनों आरोपियों ने कोर्ट परिसर में फिर से पुत्र को मारने की धमकी दी तथा सादे कागजों में हस्ताक्षर करवा लिए। इन्हीं कागजों में मनमुताबिक राजीनामा लिखकर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया।
आरोप है कि अपहरण, अप्राकृतिक दुष्कर्म के साथ ही आरोपी ने न्यायालय से भी छल किया है। परिवादिया का दावा है कि आरोपी ने न्यायालय में मासिक आय के संबंध में गलत शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। न्यायालय में उसने मासिक आय डेढ़ लाख रूपए बताई है जबकि आरोपी 2008-09 में 4 लाख रूपए मासिक व 2020-21 में 16 लाख रूपए मासिक कमाता था। आरोप है कि 2017 में भी आरोपी ने न्यायालय में मासिक आय 256591 रूपए बताई, जबकि आयकर दस्तावेजों में 2017-18 में 1166205 रूपए मासिक आय बताई गई है।
एडवोकेट वसीम मकसूद ने बताया कि परिवादिया 30 जनवरी 2021 से मुकदमा दर्ज करवाने के लिए चक्कर काट रही है। 20 जुलाई 2021 को एसपी बीकानेर को भी मुकदमा दर्ज करने हेतु लिखित परिवाद दिया मगर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। आखिर मुकदमा दर्ज करवाने के लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। अब कोर्ट इस्तगासे से यह मुकदमा दर्ज हुआ है।
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