17 October 2021 12:13 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर में 90 लाख के आभूषणों की चोरी मामले में पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए पारदी गैंग के तीन सदस्यों को दबोच लिया है। इनमें दो महिलाएं व एक नाबालिग शामिल हैं। पुलिस के अनुसार होशियारपुर पंजाब निवासी इस नाबालिग ने ही ओझा के घर व मोहल्ले की रैकी की थी। वहीं गिरफ्तार महिलाओं की पहचान 19 वर्षीय आंचल पत्नी प्रदीप पारदी व 20 वर्षीय रोहिणी पत्नी करण पारदी के रूप में हुई है। महिलाओं ने तीन दिन की पुलिस पूछताछ में चोरी की घटना को अंजाम देने वाले 6 आरोपियों के नाम उगल दिए हैं। पुलिस के अनुसार इन आरोपियों की पहचान ओमप्रकाश पुत्र भैरव पारदी, धर्मराज पुत्र राजपाल पारदी, करन पुत्र राजपाल पारदी, प्रदीप पुत्र रामप्रसाद पारदी, जॉनी पुत्र रामचरण पारदी व रवि उर्फ सागर पारदी के रूप में हुई है। गिरफ्तारशुदा दोनों महिलाओं के पति भी इन 6 आरोपियों में शामिल हैं।
ये थी वारदात: 2-3 अक्टूबर की मध्यरात्रि करीब सवा दो बजे पूगल रोड़ निवासी दीपक ओझा पुत्र भंवरलाल ओझा के यहां 6 नकाबपोश मेंढ़क चाल में घर के अंदर घुसे। रसोई की खिड़की से अंदर घुसे। कमरों के दरवाजे आगे से बंद कर 90 लाख रूपए के जेवरातों से भरे संदूक उठाकर ले गए। घटना सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई। आरोपी ये संदूक घर से कुछ दूर स्थित एक बाड़े में ले गए, जहां संदूक खाली कर दिए। घटना इतनी बड़ी थी कि एएसपी शैलेन्द्र सिंह इंदोलिया खुद मौके पर पहुंचे। विभिन्न जांच टीमें निरीक्षण में लगी।
-ऐसे आए पकड़ में- पुलिस के पास सिवाय सीसीटीवी फुटेज के कुछ नहीं था। शातिर आरोपियों ने घटना से पहले ही मोबाइल बंद कर लिए थे। नकाबों से चेहरे ढ़के थे। लंबी चौड़ी पुलिस टीमें गठित हुई। इधर उधर पूछताछ शुरू हुई। पुराने अपराधियों से पूछताछ की गई। बीकानेर में हाल ही में आए लोगों के बारे में पूछताछ शुरू की गई। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से लेकर झुग्गी झोपड़ियों तक हर जगह छानबीन की गई। आरोपियों के तरीकों व कदकाठी से पुलिस को उसी दिन यह सुनिश्चित हो गया था कि वारदात करने वाला कोई और नहीं बल्कि पारदी गैंग है।
पुलिस की इस सफलता में सबसे बड़ा रोल साईबर सैल का बताते हैं। जिसने गहन जांच के बाद आरोपियों की बीकानेर एंट्री के टावर लोकेशन से कुछ आरोपियों के मोबाइल नंबर पहचानने में सफलता हासिल की। हालांकि यह नंबर बंद थे, लेकिन इनकी सहायता से ही वारदात में सहयोगी रही दो आरोपियों की पत्नियों व रैकी करने वाले बालक को दबोचने में सहायता मिली। बता दें कि 3 दबोचे गए व 6 नामजद आरोपियों में केवल एक नाबालिग ही होशियारपुर पंजाब का है। शेष सभी बीलाखेड़ी पुलिस थाना धरनाबाद, जिला जनपद गुना मध्यप्रदेश के हैं। उल्लेखनीय है कि सैकड़ों सदस्यों वाली सौ साल पुरानी यह पारदी गैंग मूलरूप से गुना की ही मानी जाती है।
तरीका ए वारदात: आरोपी महिलाओं व बच्चों के साथ वारदात से कुछ दिनों पहले ही बीकानेर आ गए। उन्होंने गजनेर, नाल व बीकानेर रेलवे स्टेशन पर अपना डेरा लगाया। शहर में गुब्बारे बेचने के बहाने रामपुरा, मुक्ताप्रसाद, लालगढ़ व पूगल रोड़ इलाके की रैकी की। रैकी के बाद वारदात को अंजाम देने की तारीख तय की गई। तय तारीख के दिन शाम पांच बजे पूरी गैंग प्लेटफार्म नंबर 6 पर आकर रुकी। यहां से अपने प्रचलित तरीके में 6 सदस्यों की गैंग बनाकर रात साढ़े दस बजे ओझा के घर के समीप पहुंच गए। यहां एक खाली प्लॉट में चार घंटे तक रुके। रात दो बजते ही ओझा के घर की ओर मेंढ़क चाल में कैमरों से बचने की कोशिश के साथ वारदात को अंजाम देने हेतु ओझा के घर में घुस गए।
चोरी के बाद इन्होंने भागने की भी पूरी रणनीति बना रखी थी। अक्सर इसी तरीके से यह हर वारदात करते हैं। चोरी का माल महिलाओं को सौंप दिया तथा खुद अलग अलग रास्तों से निकल गए। पहले से तय था कि सभी मुरैना मध्यप्रदेश में आपस में मिलेंगे। पुलिस के अनुसार चुराए गए गहने व नकदी महिलाएं अपने गुप्तांगों के आस पास छुपा लेती है। शेष बच्चों की कमर व गले में पहना देती है। ये महिलाएं बच्चों के साथ रेल व बस से यात्रा करती है। वहीं आरोपी पुरुष अलग अलग माध्यमों व रास्तों से गंतव्य पर पहुंचते हैं।
इनकी रणनीति में कुछ चीजें अनिवार्य होती है। ये लोग अक्सर अपने निवास स्थान से बाहर जाकर ही चोरी की वारदात करते हैं। चोरी का समय कृष्ण पक्ष को चुनते हैं, क्योंकि कृष्ण पक्ष में रातें अंधेरी अधिक होती है। ऐसे घरों को चुनते हैं जहां सदस्य बुजुर्ग व बच्चे ही हों, जवान कम हो। सौ साल पुराना यह गैंग वारदात के वक्त अपनी कमर में गोफन व पत्थर बांधकर रखता है। कुछ सदस्य घर के बाहर पहरा देते हैं। दरवाजे के गिरिल आदि पेचकस से खोल लेते हैं। कोई देख ले तो उसे डराते हैं या मार देते हैं।
वारदात स्थल से अलग अलग दिशाओं में तितर बितर हुए यह बदमाश गांव में अलग अलग समय में ही पहुंचते हैं। उसके बाद अपना अपना हिस्सा अपनी पत्नियों को देकर जंगलों में पहाड़ों व नदियों के पास रहने चले जाते हैं। यहां ये सभी बदमाश परिवार से अलग ग्रुप में रहते हैं। इनकी पत्नियां इन्हें यहीं पर भोजन पहुंचाती है। शाम ढलने पर मोटरसाइकिल में पत्नी बच्चों के पास घर भी आते हैं। पुलिस की एक्टिविटी पर पूरी नजर रखते हैं।
ये रही टीम: इस बड़ी वारदात के खुलासे में आईजी प्रफुल्ल कुमार व एसपी प्रीति चंद्रा के निर्देशन व शैलेन्द्र सिंह इंदोलिया के नेतृत्व वाली नौ टीमों की मेहनत काम आई।
आरोपियों को दबौचने के लिए पवन कुमार उनि मय डीएसटी टीम, मनोज माचरा मय कोटगेट पुलिस टीम, विक्रम सिंह चारण मय नाल पुलिस टीम, मनोज कुमार शर्मा मय बीछवाल पुलिस टीम, एचसी दीपक यादव मय साईबर सैल टीम, राणीदान चारण मय गंगाशहर पुलिस टीम, गोविंद सिंह चारण मय नयाशहर पुलिस टीम, पुलिस निरीक्षक विरेंद्र पाल सिंह व उनि कुसुमलता मय टीम व एएसआई सुभाष यादव मय टीम सहित विभिन्न टीमों ने रात दिन एक कर दिए।
उल्लेखनीय है कि पारदी गैंग से जुड़े मामलों के स्पेशलिस्ट माने जाने वाले मध्यप्रदेश पुलिस के उज्जैन मालवा रेंज के उप निरीक्षक रामवीर सिंह राजावत की विशेष मदद ली गई।
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