21 January 2023 10:47 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (रोशन बाफना की रिपोर्ट) बीजेपी में चली बदलाव की हवा ने चुनावी चर्चा गरम कर दी है। शाम को बीजेपी शहर व देहात अध्यक्ष बदल दिए गए। देहात के नये अध्यक्ष अब जालम सिंह भाटी बन चुके हैं। वहीं शहर अध्यक्ष की कमान अब विजय आचार्य के हाथ आ गई है।
बदलाव की हवा चलने के साथ ही विधानसभा चुनाव की टिकटों को लेकर भी हवाई फायर होने लगे हैं। सब अपने अपने ढंग से समीकरण बता रहे हैं। देहात अध्यक्ष के बदलाव से विधानसभा की टिकटों पर खासा फर्क नहीं पड़ेगा। मगर शहर का बदलाव महत्वपूर्ण है। पश्चिम विधानसभा से मजबूत दावेदार माने जाने वाले विजय आचार्य को दूसरी बार अध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले वसुंधरा के समय वे 12 माह की अध्यक्षीय पारी खेल चुके हैं। बाद में उन्हें हटाकर सत्यप्रकाश आचार्य को लाया गया था। सत्यप्रकाश अर्जुन राम मेघवाल के नजदीकी माने जाते हैं। चर्चा है कि विजय आचार्य की अर्जुन से ट्यूनिंग होते ही उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया। तो आम जन की यह चर्चा भी खास है कि विधानसभा टिकट की तैयारी कर रहे विजय आचार्य खुश नहीं हैं। वजह, बीजेपी का वह नियम जो पद पर बैठे व्यक्ति को टिकट ना देने की बात कहता है। लेकिन एक बात तय मानी जा रही है कि विजय आचार्य के अध्यक्ष बनने का फायदा बीजेपी को जरूर मिलेगा। अब बिखरी बीजेपी के एकत्र होने की संभावनाएं बढ़ी है। बहरहाल, अब पश्चिम में गोकुल जोशी, जेठानंद व्यास, अविनाश जोशी व प्रदीप उपाध्याय विधानसभा टिकट के लिए प्रयास करेंगे। कुछ और भी दावेदार हैं मगर वे सीरियस नहीं लिए जाएंगे। हालांकि दिल्ली अभी दूर है, चुनाव से पहले फिर बदलाव होने की स्थिति में विजय आचार्य पुनः दौड़ में आ सकते हैं। दूसरी ओर अखिलेश प्रताप सिंह के पद से हटने के साथ ही विधानसभा पूर्व से टिकट मांगने वालों में एक नाम और बढ़ गया है। सूत्रों की मानें तो अखिलेश लंबे समय से टिकट के लिए आंतरिक फिल्डिंग जमा रहे हैं। वहीं सिद्धि कुमारी, महावीर रांका सहित सुरेंद्र सिंह शेखावत व मेयर सुशीला कंवर भी दावेदारी करेंगे। हालांकि राजकुमारी सिद्धि का टिकट कटना मुश्किल है, अगर कटा तो विधानसभा पूर्व से बीजेपी के नये प्रत्याशी के तौर पर पहला नाम महावीर रांका का हो सकता है। हालांकि अंदरखाने रांका को लेकर पश्चिम के कयास भी लगाए जाते हैं। सिद्धि की टिकट बरकरार रहने की स्थिति में पश्चिम से रांका को मौका मिल सकता है। माना जाता है कि रांका अगर पश्चिम से चुनाव लड़े तो उनकी बंपर जीत होगी। बंपर जीत की यह बात उन्हें नहीं पचती जो अब भी पश्चिम से जीत का माप तौल पुष्करणा वोटरों के आधार पर ही करते हैं। पिछले वर्षों में तीनों तरफ बढ़ चुके पश्चिम ने जातीय समीकरण भी बदल दिए हैं। इसलिए अब पश्चिम में बदलाव की मांग भी बढ़ने लगी है।
राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो अंतिम समय पर ही पता चलेगा मगर फिलहाल हवाएं बदल चुकी है।
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