01 March 2025 06:46 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की रिपोर्ट) बीकानेर में सरकारी योजनाओं व सार्वजनिक सुविधाओं के हाल बड़े ही खराब है। यहां यह योजनाएं व सुविधाएं शुरू जरूर होती है लेकिन वाहवाही की ख़बरों तक ही इनका क्रियान्वयन होता है। ऐसा ही हाल बीकानेर नगर निगम द्वारा संचालित हुई 'सखी' का है। एक तरह से इस सखी ने भी जनता के साथ धोखा ही किया है। 'सखी' एक पिंक बस है जिसे सखी महिला स्वच्छता गृह नाम दिया गया। 84 लाख रूपए की लागत से बनें यह मोबाइल शौचालय महिला सशक्तिकरण के दावे के साथ शुरू किए गए। बेटियों व माताओं को शौचालय की सुविधा देने वाली इस पिंक बस में सैनेटरी नैपकिन व एक शिशु भोजन क्षेत्र जैसी सुविधाएं भी है। दो बसे पश्चिमी टॉयलेट के साथ हैं तो दो भारतीय टॉयलेट वाले हैं। महापौर ने कार्यकाल के अंतिम दिनों में इसका उद्घाटन कर वाहवाही लूटी। इसके बाद ये बसें बस शो-पीस बनकर रह गई है। गंगाशहर नगर पालिका रोड़, बाबूजी प्लाजा व रत्न बिहारी पार्क में 'सखी' खड़ी रहती है।
बाबूजी प्लाजा व गंगाशहर नगर पालिका के सामने खड़ी सखी पर ख़बरमंडी न्यूज़ पिछले 10-12 दिनों से लगातार नज़र बनाए हुए। यहां सखी पर हर वक्त ताला लगा मिलता है। वहीं रतन बिहारी पार्क वाली सखी के भी यही हाल बताए जा रहे हैं। माताओं व बहनों को पब्लिक पैलेस में टॉयलेट की सुविधा देने वाली यह स्कीम भी कामचोर निगम की वजह से असफल हो गई है।
बता दें कि नगर निगम हो या कोई अन्य सरकारी संस्था हो, इन सबको विभिन्न योजनाएं संचालित करने के लिए जो फंड चाहिए होता है, वह जनता के टैक्स का पैसा ही है। यहां तक कि नगर निगम आयुक्त, उपायुक्त से लेकर हर एक अधिकारी-कर्मचारी की तनख्वाह की व्यवस्था भी जनता द्वारा दिए जाने वाले टैक्स से होती है। ऐसे में जनता के कामों में इतनी लापरवाही करना एक तरह से जनता से सीधे तौर पर धोखा ही है।
सखी के नाम पर करोड़ों रूपयों का चूना लगाया जा चुका है मगर माताओं-बहनों को कोई सुविधा लाभ नहीं मिला है। चौंकाने वाली बात यह है कि भरे बाजारों में खड़ी 'सखी' बंद पड़ी है और नगर निगम व जिला प्रशासन को इसकी जानकारी तक नहीं है। सखी का इस तरह बंद मिलना हमारे सिस्टम की लापरवाही उजागर करता है।
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