27 November 2022 09:57 AM
-रोशन बाफना (पत्रकार-लेखक)
बहुत कुछ हासिल करने के लिए जीना बड़ी बात नहीं। उसके लिए संघर्ष करना भी बहुत बड़ी बात नहीं। हर दशक में असंख्य लोग यही तो करते आए हैं। वे करोड़ों की संपदा अर्जित कर पाए मगर मरने के बाद जिंदा नहीं रह पाए। उनका आना और जाना सामान्य प्रक्रिया होकर रह गया।। उनका होना जिंदा रहने तक ही महत्वपूर्ण हो पाया। आप भी ऐसे रहे तो मरने के बाद आपके अस्तित्व पर खतरा मंडरा जाएगा, बल्कि अस्तित्व मिट ही जाएगा। अस्तित्व की रक्षा के लिए यादगार बनना होगा। यादगार बनने वाले सदियों में कुछ एक आते हैं। सदियों में कभी कभी आने वाले यह लोग अगली कई सदियों तक जिंदा रहते हैं। शरीर खत्म हो जाता है मगर लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं। आसान नहीं है यादगार बनना। बड़ा हौसला चाहिए, जिंदादिली चाहिए। हर इंसान का परम लक्ष्य यादगार बनना होना चाहिए। इससे बड़ा लक्ष्य कोई हो नहीं सकता। हो सकता है आप खुद को यादगार ना बना पाएं मगर यादगार बनने की ओर बढ़ रही आपकी यात्रा आपको आसमां सी ऊंचाई प्रदान कर देगी। ऐसी ऊंचाई जो आपको हजारों सफल व्यक्तियों से भी ऊपर खड़ा कर देगी। जीवन यापन के लिए संघर्ष करना मात्र एक जरूरत है। ऐसा संघर्ष करना भी चाहिए। मगर सिर्फ इतना कर लेने से आपका आना-जाना सफल नहीं हो जाता। बल्कि व्यर्थ हो जाता है। यादगार बनने का स्वप्न नहीं देखा तो व्यर्थ है जीवन। जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य तो यादगार बनना ही हो सकता है। ऐसा लक्ष्य रखने वाले स्वयं के साथ साथ जग को भी तार देते हैं। महावीर, बुद्ध, कृष्ण, विवेकानंद, मदर टेरेसा जैसे यादगार व्यक्तित्व बनने की ओर बढ़ें।
आपके अंदर अपार संभावनाएं हैं। अपनी शक्ति को पहचानें। आप अभी तक अपनी शक्तियों का लेशमात्र भी उपयोग नहीं कर पाए हैं। मात्र पद, संपत्ति और आनंद हासिल करना ही काफी नहीं है। शक्ति को परम लक्ष्य की ओर नियोजित करना होगा, आपको यादगार बनना होगा। तभी सफल होगा आपका आना और जाना।
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