06 May 2021 11:51 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। कोरोना की आफत अब नियंत्रण से बाहर हो गई है। हालात यह है कि सोशल मीडिया पर हर स्क्रोलिंग के बाद किसी के दिवंगत होने की पोस्ट दिखने लगी है। इससे भी भयावह स्थिति यह है कि कोरोना से मरने वालों में युवाओं की तादाद भी बढ़ी है। 59 घंटे के कर्फ्यू, जन अनुशासन पखवाड़े और फिर रेड अलर्ट महामारी जन अनुशासन पखवाड़े का भी कोई ख़ास असर नहीं है। पॉजिटिव होने का आंकड़ा वहीं का वहीं है। बीकानेर में रोज 30 से 37 प्रतिशत रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इसमें बड़ा कारण विवाह समारोह व रोज 6 से 11 बजे की छूट है। विवाह समारोह में अधिकतर समय बगैर मास्क निकलता है, एक ही वाटर कैम्पर पर सबके हाथ लगते हैं, कुल मिलाकर हर स्थिति में संक्रमण फैलने की आशंका अधिकतम होती है। वहीं बाजारों की भीड़ बेकाबू है। लाख कोशिशों के बाद भी भीड़ नियंत्रित ना होने से रोज सुबह 6 से 11 बजे तक कोरोना का आदान प्रदान हो रहा है। सबूत के तौर पर हम बाजारों की भीड़ की खौफनाक तस्वीरें भी साझा कर रहे हैं।
सवाल यह है कि कोरोना को मात न दे पाने की असफलता में दोष किसका है। जवाब है हर नागरिक का। बता दें कि लाख समझाइश, चालान व सीज एक्शन के बावजूद आमजन मान ही नहीं रहा। हालांकि बेवजह घूमने वालों को क्वॉरन्टाइन करने का फॉर्मूला अन्य सख्ती से काफी अधिक कारगर है। बता दें कि हर घर में कम से कम एक सदस्य ऐसा है जो स्वयं व परिवार की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यही वह सदस्य हैं जो बाजार में भीड़ कर रहा है तो घर पर रहकर अनुशासन की पालना करने वाले परिजनों की जान भी खतरे में डाल रहा है।
ऐसे में कोरोना के तांडव को रोकने का एकमात्र विकल्प संपूर्ण लॉक डाउन ही रह गया है। अगर सरकार 5-7 दिवस का संपूर्ण लॉक डाउन लगा दे तो कोरोना संक्रमण का फैलाव रुक सकता है बशर्ते कि सब्जी और दूध के नाम पर भीड़ ना हो। सब्जी और दूध का प्रभावी मैनेजमेंट किए बिना लॉक डाउन भी व्यर्थ जा सकता है।
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