12 February 2022 05:17 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (रोशन बाफना की रिपोर्ट) लगता है बीकानेर की राजनीति को अब विकास के मुद्दों पर भी विरोध की आदत सी हो गई है। यह बात किसी पार्टी विशेष की नहीं, बल्कि कांग्रेस-बीजेपी आदि समस्त दलों पर लागू है। आज भी नगर निगम के बजट सत्र के दौरान यही सब देखने को मिला। जहां कांग्रेस के कुछ पार्षदों ने सदन शुरू होते ही हंगामा खड़ा कर दिया। तो वहीं महापौर सुशीला कंवर भी विरोध पर विजय पाने में असहाय दिखी। हालात यह हुए कि बिना चर्चा ही बजट पारित कर दिया गया। सदन में मौजूद दोनों ही पक्षों के पार्षदों की मानें तो किसी को पता ही नहीं चला कि बजट क्या था, बस किसी तरह बजट पारित कर दिया गया। हंगामा अभी भी थमा नहीं है, कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। आरोपों की झड़ी लग गई है।
कांग्रेस से मनोनीत पार्षद नितिन वत्सस ने बिना बहुमत बजट पास कर दिए जाने का आरोप लगाया। कहा, 'बहुमत के लिए 41 पार्षद चाहिए, मगर 39 हस्ताक्षर ही हुए, उसमें भी पांच हस्ताक्षर फर्जी थे। कांग्रेस पार्षद कुसुम भाटी के फर्जी हस्ताक्षर किए जाने का आरोप है। वहीं चार अनुपस्थित बीजेपी पार्षदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप भी है।
कांग्रेस का कहना है कि महापौर ने पार्षदों को अभिभाषण की कॉपी उपलब्ध नहीं करवाई। अपना मत रखने के लिए माइक भी नहीं दिया। संविधान के विरुद्ध जाकर सदन में पुलिस तैनात की गई। एक महिला कांस्टेबल ने महिला पार्षद अंजना खत्री व निर्मला चांवरिया को डंडा भी मारा। कांग्रेसी पार्षदों ने आयुक्त से हाजिरी की कॉपी मांगी है।
दूसरी ओर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कहा कि विपक्ष के आरोप सरासर ग़लत है। विपक्षी पार्षद वॉक आउट कर बजट सत्र असफल करने के उद्देश्य से ही आए थे। अभिभाषण से पहले ही बेवजह हंगामा शुरू कर दिया। ऐसे हालात पैदा कर दिए कि बिना चर्चा बजट पारित करना पड़ा। महापौर के अनुसार फर्जी हस्ताक्षर की बात निराधार है। कुल 41 हस्ताक्षर हुए थे। इनमें एक हस्ताक्षर कांग्रेस पार्षद कुसुम भाटी का था। वें बाहर से हस्ताक्षर करके घुसी, अंदर आने पर साथी पार्षदों ने समझाया तो मुकर गईं। वहीं अन्य 40 हस्ताक्षर मौजूद बीजेपी पार्षदों के थे। 44 में से चार बीजेपी पार्षद उपस्थित नहीं हो पाए। इनमें से सुधा आचार्य यूपी में हैं। लक्ष्मी कंवर व कमल कंवर व्यक्तिगत कारणों से अनुपस्थित थीं। जितेंद्र सिंह भाटी एक पार्षद प्रतिनिधि भगवान सिंह के साथ धरने पर हैं। पुलिस बुलाने की बात पर महापौर का कहना है कि सदन के अंदर 17 होमगार्ड व एक पुलिस इंस्पेक्टर रामचंद्र कस्वां मौजूद थे। रामचंद्र नगर निगम के कर्मचारी हैं। इसके अतिरिक्त सीओ पवन भदौरिया मय पुलिस बल सदन के बाहर था। एसपी ने हाल ही में श्रीडूंगरगढ़ पालिका में हुई हाथापाई की घटना के मद्देनजर एहतियातन यह जाब्ता भेजा था, जो पहले अंदर नहीं था। कांग्रेस पार्षद बड़गुर्जर ने फ्यूज निकालकर बिजली में व्यवधान पैदा किया। अंजना खत्री व जावेद ने माइक तोड़ा। कुछ पार्षद ऊपर चढ़ आए। माहौल बिगड़ा तो कुछ पुलिस कर्मी अंदर आए।
बता दें कि शहर की समस्त व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं। शहर की बदहाल स्थिति से आमजन खीझा हुआ है। इसके बावजूद कांग्रेस व बीजेपी पार्षद अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हैं। हालांकि दोनों ही पक्षों में कुछ पार्षद विकास करवाने का आतुर भी हैं, मगर बेबस हैं। ऐसे में सवाल यह है कि हमारे पार्षद बेतुके विरोध प्रदर्शनों को छोड़कर आखिर कब जनता के लिए अपना समय और ऊर्जा लगाएगें।
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