27 November 2021 09:06 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (रोशन बाफना की रिपोर्ट)-: सेठ साहूकारों की नगरी गंगाशहर में स्थित सरकारी अस्पताल सिस्टम की अनदेखी की वजह से मातृशक्ति की सेवा नहीं कर पा रहा है। गंगाशहर अस्पताल पहुंचने वाली गर्भवती स्त्रियों को सटीक इलाज के लिए एक-एक माह से अधिक समय का इंतजार करना पड़ रहा है। वजह, इस अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन का ना होना है। गंगाशहर के इस अस्पताल में प्रति दिन 700-800 मरीज़ों का आना जाना है। हर माह की नौ तारीख को मातृत्व दिवस पर करीब सौ गर्भवती महिलाएं आती है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन 5-10 गर्भवती महिलाएं इलाज को आती है। इन गर्भवती महिलाओं को पीबीएम अथवा जस्सूसर गेट सैटेलाइट अस्पताल की कतार में लगने भेज दिया जाता है। वहां एक माह के लंबे इंतजार के बाद इनकी सोनोग्राफी होती है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सिस्टम की इस अनदेखी से अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्राइवेट लैब में सोनोग्राफी काफी मंहगी पड़ती है, ऐसे में इन महिलाओं के पास पीबीएम अथवा सैटेलाइट जस्सूसर गेट की एक माह लंबी कतार में इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। यहां गंगाशहर, भीनासर, सुजानदेसर, उदयरामसर व देशनोक सहित आसपास के गांवों से मरीज आते हैं। इनमें से गर्भवती महिलाओं तथा पथरी रोगियों को सोनोग्राफी मशीन का अभाव परेशान करता है। हाल ही में सरकार ने सोनोलॉजिस्ट डॉ अमित अरोड़ा को गंगाशहर सैटेलाइट में लगाया। डॉक्टर आ गया तो मशीन नहीं थी। ऐसे में डॉ अमित डेप्यूटेशन पर जस्सूसर गेट सैटेलाइट लग गए।
बता दें कि गंगाशहर अस्पताल मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आता है। मगर मेडिकल कॉलेज से लेकर यहां के मंत्रियों तक ने इस अस्पताल से लगाव ही नहीं रखा। वर्षों पुराने इस अस्पताल में अब तक यहां के सेठ साहूकार ही प्राण भरते रहे हैं। वर्षों तक गंगाशहर नागरिक परिषद इसे संचालित भी करती रही। सवाल यह है कि सिस्टम आखिर कब तक इस अस्पताल की ओर ध्यान नहीं देगा। आखिर कब तक सामाजिक दायित्व निभाने में अग्रणी रहने वाले सेठ साहूकारों की नगरी के साथ सौतेला व्यवहार होता रहेगा? अगर यहां सोनोग्राफी मशीन लगा दी जाए तो यहां आने वाले मरीजों को राहत मिलने के साथ साथ पीबीएम व सैटेलाइट जस्सूसर गेट का भार भी घटेगा। सवाल यह है कि भेदभाव के शिकार इस अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन कौन लगाएगा??
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