17 April 2020 11:12 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। 3 मई को देश में 43 दिनों का लॉक डाउन समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही जीरो आय वाले 43 दिन भी पूरे हो जाएंगे। लेकिन यहीं से आमजन के हालात चिंताजनक होंगे। इस पूरे मामले में सबसे अधिक प्रभावित प्राइवेट नौकरी या खुद का छोटा मोटा रोजगार करने वाला मध्यम वर्ग होगा। बता दें कि इस वर्ग को किसी भी प्रकार सरकारी सहायता नहीं मिलती। वहीं प्राइवेट नौकरी में बने रहने के लिए तनख्वाह न मिलने पर भी अपना मुंह बंद रखना पड़ेगा। दूसरी तरफ बिजली-पानी के बिल, स्कूल फीस, घर-दुकान-ऑफिस के किराये से लेकर किश्तों आदि का भार एक साथ सर पर आ जाएगा। बिजली-पानी व स्कूल फीस के लिए जून तक का समय तो दिया गया है, लेकिन सामान्य नौकरी अथवा रोजगार करने वाला मध्यम वर्गीय परिवार कैसे इन सबका भुगतान एकसाथ कर पाएगा। लॉक डाउन के दौरान भी एपीएल श्रेणी में आने वाले इस वर्ग के नाममात्र परिवारों को केवल गेहूं की सहायता मिली। वहीं इन 43 दिनों के जीरो आय वाले समय में यह वर्ग ने बमुश्किल गुजारा कर रहा है। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली हालांकि केंद्र सरकार गेहूं, दाल, चावल देने की घोषणा जरूर की थी, जिसके पीछे का सच कुछ और निकला। इस वर्ग का कहना है कि सरकारें वोट बैंक पर स्कीम निकालती है। मध्यम वर्ग किसी योजना के प्रभाव में आकर वोट नहीं देता, इसी वजह से यह किसी का फिक्स वोट बैंक नहीं हो सकता।
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