11 November 2022 06:12 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। भारत सहित विश्व भर में चिकित्सा के क्षेत्र में नित नई खोजें हो रही है। चिकित्सा विज्ञान ने मानव की शारीरिक समस्याओं के निदान में खूब तरक्की की है। यह तब संभव हो पाया है जब अध्ययन के अनुकूल परिस्थितियां व संसाधन मिल पा रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान की इस प्रगति में मानव की मृत देह का भी बड़ा योगदान है। हर वर्ष कई लोग देह दान जैसा महान कार्य करते हैं, जिसकी बदौलत हमारे डॉक्टर्स मानव शरीर पर अध्ययन का कार्य निरंतर रख पाते हैं। देहदान के इस महान कार्य में बीकानेर के भीनासर निवासी रिखबचंद सोनावत पुत्र सूरजमल सोनावत का नाम भी जुड़ गया है। चिकित्सकों के अनुसार अब उनकी देह न्यूनतम आगामी 1-2 वर्ष तक सुरक्षित रहेगी। मेडिकल कॉलेज बीकानेर में उनकी देह पर अध्ययन होता रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार देह लेने के अपने नियम कायदे हैं। कॉलेज में एक बार देह लेने के बाद उसकी पहचान उजागर नहीं की जाती। ना ही अन्य जानकारी साझा की जाती है। भारत में ऐसे भी उदाहरण मौजूद हैं, जहां देह का ममीफिकेशन किया गया है। ममीफिकेशन की गई देह सदियों तक सुरक्षित रहती है। देह को सुरक्षित रखने की कई प्रक्रियाएं हैं।
स्वर्गीय रिखबचंद के साले गंगाशहर निवासी पुखराज चौपड़ा पुत्र चुन्नीलाल चौपड़ा ने बताया कि आज उनके सबसे बड़े जीजा रिखबचंद सोनावत ने भीनासर स्थित अपने निवास में अंतिम सांस ली। वे 81 वर्ष के थे मगर बिल्कुल स्वस्थ थे। उनकी इच्छानुसार परिजनों ने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ गुंजन सोनी को सूचित किया। चिकित्सकों की एक टीम सोनावत के घर पहुंची। सुबह 11 बजे उनका शव मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने रिखबचंद की देह को सुरक्षित रखने की सारी तैयारी कर रखी थी। इस दौरान समस्त परिजन मेडिकल कॉलेज तक उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। बता दें कि देहदान के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया नहीं की जाती, क्योंकि पूरी देह मेडिकल कॉलेज ले लेता है।
पुखराज चौपड़ा ने बताया कि रिखबचंद सोनावत ने बहुत पहले ही देहदान की इच्छा जता दी थी। वह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्तित्व थे। लंबे समय से धर्म व समाज के लिए ही अपना जीवन समर्पित कर रखा था। निरंतर महाराज के दर्शन को जाते। दो माह पूर्व ही उन्होंने 31 दिनों तक जैन परंपरा के अनुसार तपस्या की थी।
उल्लेखनीय है कि देहदान करना हौसले वाला कार्य है। इन वर्षों में बीकानेर में देहदान के आंकड़ों में वृद्धि हुई है। अधिकृत सूत्रों के मुताबिक कुछ वर्षों पहले तक एक साल में 1-2 व्यक्ति ही देह दान करते थे। अब यह आंकड़ा प्रतिवर्ष 7-8 पर पहुंच गया है। बीकानेर की हस्तियों में कवि हरीश भादानी का नाम भी देहदानियों में शामिल बताया जा रहा है। हम आपके साथ देहदानी रिखबचंद सोनावत से जुड़ा एक वीडियो साझा कर रहे हैं, देखें वीडियो
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