17 August 2020 05:48 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बचा ली गई, लेकिन बदलावों का दौर जारी है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस में उथल-पुथल अभी बाकी है। अशोक गहलोत व सचिन पायलट की लड़ाई में उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवा बैठे सचिन लौटे तो खाली नहीं लौटे। सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार से पायलट का समझौता हुआ। पायलट की झोली में बहुत कुछ डाला जा चुका है, बस घोषणाएं कट टू कट होंगी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हुई वार्ता में पायलट को सरकार सुरक्षित रखने के लिए समझौता करने की बात पर राजी किया गया। लेकिन इस समझौते ने सचिन का कद बढ़ा दिया है। सूत्र कहते हैं कि पायलट बहुत जल्द कांग्रेस में राष्ट्रीय पद पर आसीन होंगे। वे अध्यक्ष भी बनाए जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। वजह साफ है राहुल गांधी अब समझ चुके हैं कि वे अध्यक्ष रहे तो पीएम की दावेदारी में उन्हें लाभ नहीं मिल पाएगा। सोनिया गांधी का स्वास्थ्य व उम्र की प्रतिकूलता उन्हें अध्यक्ष पद पर लंबे समय तक नहीं रख पाएगी। ऐसे में युवा को नेतृत्व देने के विचार लिए राहुल के पास सचिन पायलट व प्रियंका गांधी अच्छे विकल्प हो सकते हैं। पायलट गांधी परिवार से शक्ति लेकर लौटे हैं, इसका असर दिखना भी शुरू हो चुका है। माना जा रहा है कि पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने की सजा अविनाश पांडे को दे दी गई है। उनकी जगह अब अजय माकन प्रदेश प्रभारी बनाए गए हैं। तो राजस्थान में सचिन पायलट से जुड़े इश्यूज़ का निस्तारण करने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी तक बना दी गई है। इस कमेटी में अजय माकन, अहमद पटेल व के सी वेणुगोपाल शामिल हैं। बता दें कि राहुल गांधी व पायलट के रिश्ते काफी अच्छे माने जाते हैं। ऐसे में सचिन की अध्यक्षता में राहुल पीएम की दावेदारी निश्चिंतता से कल सकते हैं। हालांकि निकट भविष्य में कांग्रेस की केंद्र में वापसी होती नहीं दिखती, लेकिन राजनीति में कब क्या बदलाव हो जाएं, यह कोई नहीं कह सकता। बहरहाल, अगर सचिन को राष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़ा मिला तो गहलोत के लिए किरकिरी का कारण भी बन सकता है। ऐसे में जादूगर और पायलट की लड़ाई में जादूगरी चलती है या हवाईजहाज उड़ता है, यह देखना रोमांचकारी होगा।
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